कटनी जिले के रीठी क्षेत्र के ग्राम कछारखेड़ा मैं संगीतमयी श्री राम कथा के दूसरे दिन प्रयागराज से पधारे कथावाचक पंडित निर्मल शुक्ल जी ने शिव चरित्र का सुन्दर वर्णन किया। उन्होने मां पार्वती के जन्म, कामदेव के भस्म होने और भगवान शिव से विवाह के लिए सहमत होने की कथा सुनाई। रीठी के नजदीकी ग्राम कछारखेड़ा के में रामकथा का आयोजन किया गया है।
कथावाचक पंडित निर्मल शुक्ल ने कहा कि श्रद्धा और विश्वास के साथ यदि ईश्वर को पुकारा जाए तो वह अवश्य कृपा करते हैं। भगवान श्रीराम की कथा जिनके घर में होती है वहां से संकट दूर हो जाते हैं।
उन्होने प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि राजा दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर का अपमान करने के लिए महायज्ञ का आयोजन किया था. महायज्ञ में उन्होने भगवान शिव को छोड़ समस्त देवताओं को आमंत्रण भेजा था। भगवान शंकर के मना करने के बाद भी सती अपने पिता के यहां जाने की इच्छा जताई तो भगवान शंकर ने बिना बुलाए जाने पर कष्ट का भागी बनने की बात कही। इसके बाद भी सती नहीं मानी और पिता के घर चली गईं। पिता के भगवान शंकर के अपमान पर सती ने योग अग्नि में खुद को अग्नि को समर्पित कर दिया। इसके बाद भगवान शंकर के दूतों ने यज्ञ स्थल को तहस-नहस कर दिया।
माता सती के अग्नि में प्रवाहित होने के बाद तीनों लोकों को भगवान शिव के कोप भाजन का शिकार होना पड़ा। कथा विश्राम पर मुख्य यजमान हीरा पटेल व उनकी पत्नी ने व्यासपीठ की आरती की। इस अवसर पर सत्य सनातन धर्म सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित चंद्र भूषण दुबे उनकी पत्नी सुधा दुबे प्राचार्य, उत्तम चाँद राय, पंचम सिंह, ब्रजलाल पटेल, सुन्दर पटेल, लल्लू पटेल, बलिराम पटेल, कमोद श्रीवास्तव, रघुवीर पटेल, घनश्यात्म पाल, कृष्ण कुमार शुक्ल, अशोक अवस्थी, संतोष खर्द, राजकुमार शिवहरे, यजुवेन्द्र सिंह, जग्गू पटेल आदि उपस्थित रहे.।
हरिशंकर बेन