यह उत्सव भारतीय संस्कृति और परंपराओं के रंगों को जीवंत करने का एक सुंदर अवसर साबित हुआ। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. चित्रा प्रभात और डॉ. साधना जैन ने इस कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ किया। इस पावन शुरुआत ने उत्सव को एक शैक्षिक और सांस्कृतिक आयाम प्रदान किया, जो महाविद्यालय के मूल्यों को दर्शाता है।
कार्यक्रम की शुरुआत के बाद, महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्राओं ने प्राचार्य, प्राध्यापकों और कर्मचारियों को रंग और गुलाल लगाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। यह क्षण परंपरा और आधुनिकता के मेल का प्रतीक बना, जहां छात्राओं ने अपने गुरुजनों के प्रति सम्मान और स्नेह व्यक्त किया। इसके बाद, उत्सव ने एक उत्साहपूर्ण मोड़ लिया जब छात्राओं ने होली और रंगपंचमी से प्रेरित फिल्मी गीतों पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किए। इन नृत्यों में उनकी प्रतिभा और ऊर्जा स्पष्ट रूप से झलक रही थी, जिसने उपस्थित सभी लोगों का मन मोह लिया।
इस रंगोत्सव की सफलता में महाविद्यालय के प्राध्यापकों और कर्मचारियों की सक्रिय भागीदारी का विशेष योगदान रहा। डॉ. विमला मिंज, डॉ. रश्मि चतुर्वेदी, डॉ. किरण खरादी, श्रीमती बंदना मिश्रा, श्री अमिताभ पाण्डेय, श्री के.जे. सिन्हा, श्रीमती सुनीता श्रीवास्तव, श्री विनेश यादव, श्री नागेंद्र यादव, डॉ. के.जी. सिंह, डॉ. रीना मिश्रा, डॉ. सपना झारिया, श्री रामेश्वर, डॉ. अपर्णा मिश्रा, श्री आंजनेय तिवारी, श्री भीम बर्मन, डॉ. अशोक शर्मा, श्री प्रेमलाल कॉवरे, श्रीमती प्रियंका सोनी, डॉ. संजयकांत भारद्वाज, श्रीमती सृष्टि श्रीवास्तव, डॉ. प्रतिमा सिंह, डॉ. वंदना चौहान, डॉ. मैत्रयी शुक्ला, श्रीमती आरती वर्मा, श्रीमती नम्रता, श्रीमती श्रद्धा वर्मा, श्रीमती रिचा पाण्डेय, श्री विनीत सोनी, श्रीमती रत्नेश कुशवाहा, श्रीमती पूनम गर्ग, श्रीमती देववती, डॉ. अनिका वालिया, श्रीमती श्वेता कोरी, श्री मदन मरावी, श्री इमरान, सुश्री सुषमा, श्रीमती मिनाक्षी वर्मा, सुश्री पूजा राजपूत, श्री राकेश दुबे, श्री भास्कर चौधरी, श्रीमती संध्या सिंह, श्री सतीश शुक्ला, श्री अशोक परौहा, श्रीमती मोहिनी पहाड़े, श्री शशिकांत वर्मा जैसे समर्पित शिक्षकों और कर्मचारियों ने इस आयोजन को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इन सभी की उपस्थिति और सहयोग ने इस उत्सव को एक यादगार अनुभव में बदल दिया।
रंगपंचमी का यह उत्सव केवल रंगों का खेल ही नहीं था, बल्कि यह एकता, खुशी और सामूहिकता का प्रतीक भी बना। छात्राओं ने नृत्य, संगीत और रंगों के माध्यम से अपनी सृजनात्मकता को प्रदर्शित किया, जबकि प्राध्यापकों ने उनकी प्रतिभा को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस आयोजन ने महाविद्यालय के परिवार को एक सूत्र में बांधा और सभी को भारतीय संस्कृति के इस रंगीन पर्व का आनंद लेने का अवसर प्रदान किया।
रंगोत्सव के दौरान, परिसर में चारों ओर हंसी-खुशी और उत्साह का माहौल था। छात्राओं ने एक-दूसरे के साथ रंग और गुलाल खेलकर इस पर्व की भावना को जीवंत किया। यह आयोजन न केवल मनोरंजन का साधन बना, बल्कि छात्राओं के बीच आपसी भाईचारे और सहयोग की भावना को भी बढ़ावा दिया। प्राचार्य डॉ. चित्रा प्रभात ने इस अवसर पर अपने संबोधन में छात्राओं को रंगपंचमी की शुभकामनाएं दीं और इस पर्व के सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डाला।