शासकीय कन्या महाविद्यालय, कटनी में 18 मार्च 2025 को एक महत्वपूर्ण और प्रासंगिक विषय, “साइबर सुरक्षा” पर एक प्रेरणाप्रद व्याख्यान तथा वीडियो प्रदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया। यह आयोजन महाविद्यालय के भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के तत्वावधान में संपन्न हुआ, जो प्रतिमाह आयोजित होने वाले शैक्षिक और जागरूकता कार्यक्रमों की श्रृंखला का हिस्सा है। मुख्य वक्ता के रूप में प्राचार्य डॉ. चित्रा प्रभात ने अपने उद्बोधन में साइबर सुरक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि साइबर सुरक्षा केवल व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी एक अभिन्न अंग बन चुकी है। डिजिटल युग में साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाएं, जैसे डेटा चोरी, ऑनलाइन धोखाधड़ी, और साइबर हमले, देश की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बन सकते हैं। प्राचार्य ने छात्राओं को इस दिशा में जागरूक और सतर्क रहने की सलाह दी, ताकि वे स्वयं को और अपने आसपास के लोगों को सुरक्षित रख सकें।इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्राओं को डिजिटल युग की चुनौतियों से अवगत कराना और साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना था।
भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ की संयोजक डॉ. साधना जैन ने अपने संबोधन में साइबर सुरक्षा से जुड़ी सावधानियों और जागरूकता पर बल दिया। उन्होंने छात्राओं को बताया कि आज के समय में साइबर अपराधी अत्यंत चालाकी से लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं। फिशिंग ईमेल, फर्जी वेबसाइट्स, और सोशल मीडिया पर फैलने वाली गलत सूचनाएं इसके कुछ उदाहरण हैं। डॉ. जैन ने छात्राओं को पासवर्ड सुरक्षा, संदिग्ध लिंक से बचने, और व्यक्तिगत जानकारी को ऑनलाइन साझा न करने जैसे बुनियादी उपायों के बारे में विस्तार से समझाया। उन्होंने यह भी कहा कि तकनीक का उपयोग एक वरदान है, लेकिन इसके दुरुपयोग से बचने के लिए सतर्कता बेहद जरूरी है।
वीडियो डॉक्यूमेंट्री: साइबर सुरक्षा का दृश्यात्मक चित्रण
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण श्री भीम बर्मन द्वारा प्रस्तुत साइबर सुरक्षा पर आधारित वीडियो डॉक्यूमेंट्री थी। इस वीडियो में साइबर अपराधों के विभिन्न रूपों, जैसे हैकिंग, ऑनलाइन ठगी, और पहचान की चोरी, को दृश्यात्मक रूप से प्रस्तुत किया गया। वीडियो में यह भी दिखाया गया कि साइबर अपराधी किस तरह लोगों की लापरवाही का फायदा उठाते हैं और कैसे छोटी-छोटी सावधानियां इन खतरों से बचाव कर सकती हैं। छात्राओं ने इस वीडियो को बड़े ध्यान से देखा और इसके बाद अपनी जिज्ञासाओं और सवालों को सामने रखा।
महाविद्यालय के प्राध्यापकों की भूमिका
इस कार्यक्रम की सफलता में महाविद्यालय के प्राध्यापकों की सक्रिय भागीदारी ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। डॉ. विमला मिंज, डॉ. किरण खरादी, श्रीमती बंदना मिश्रा, श्रीमती सुनीता श्रीवास्तव, डॉ. के.जी. सिंह, श्री प्रेमलाल कॉवरे, श्रीमती प्रियंका सोनी, डॉ. संजयकांत भारद्वाज, श्रीमती सृष्टि श्रीवास्तव, डॉ. प्रतिमा सिंह, डॉ. वंदना चौहान, डॉ. मैत्रयी शुक्ला, श्रीमती आरती वर्मा , डॉ. अनिका वालिया इत्यादि प्राध्यापकों की उपस्थिति ने इस आयोजन की गरिमा को बढ़ाया। इन शिक्षकों ने न केवल कार्यक्रम के आयोजन में सहयोग किया, बल्कि छात्राओं को इस विषय पर चर्चा करने और अपनी राय व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित भी किया। उनकी मौजूदगी ने यह संदेश दिया कि शिक्षा और जागरूकता के इस प्रयास में पूरा महाविद्यालय एकजुट है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. अशोक शर्मा ने कुशलतापूर्वक किया। उनकी संचालन शैली ने कार्यक्रम को रोचक और व्यवस्थित बनाए रखा। अंत में, डॉ. फूलचंद कोरी ने आभार प्रदर्शन किया और सभी उपस्थित लोगों, आयोजकों, और छात्राओं का धन्यवाद किया।