कटनी। मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग द्वारा विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर स्वावलंबी एवं स्वरोजगार स्थापित करने के लिए व्यावसायिक शिक्षा के अंतर्गत वीरांगना रानी दुर्गावती शासकीय महाविद्यालय बहोरीबंद में स्नातक स्तर की विद्यार्थियों को जैविक खेती का प्रशिक्षण जैविक कृषि विशेषज्ञ रामसुख दुबे द्वारा दिया गया। यह प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर इंद्र कुमार पटेल की मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण समन्वयक डॉ मंजू द्विवेदी एवं विवेक चौबे के सहयोग से दिया जा रहा है। प्रशिक्षण में जैव उर्वरकों का महत्व एवंफसलों में उपयोग की जानकारी दी गई । कृषि की वह पद्धति जिसमें विभिन्न प्रकार के जीवो जैसे जीवाणु कवक एक्टीनो माय सिटीज एवं शैवाल आदि को पहचान कर उनसे विभिन्न प्रकार के पर्यावरण हितैषी उर्वरक तैयार किए जाते हैं उन्हें जैव उर्वरक या जीवाणु खाद कहते हैं। नत्रजन स्थिरीकरण करने वाले जैव उर्वरक के अंतर्गत दलहनी फसलों के लिए राइजोबियम जीवाणु तथा गैर दलहनी फसलों के लिए एजेक्टोवैक्टर एजोस्पा इ रि लियम एसीटोबेक्टर अजोला एवं नील हरित काई आदि उपयोग में लाए जाते हैं। जो मृदा में वायुमंडलीय नाइट्रोजन स्थिरीकरण करके पौधों को उपलब्ध कराने में सहयोग करते हैं। स्फुर घोलकजैव उर्वरक के अंतर्गत फॉस्फेटिका कल्चर का उपयोग सभी फसलों के लिए करते हैं जैव उर्वरकों का उपयोग बीज उपचार भूमि उपचार जड़ एवं कंद उपचार नर्सरी उपचार करने से उत्पादन में कम लागत तकनीकी जीरो बजट फार्मिंग के अंतर्गत 15 से 20% उत्पादन में वृद्धि का तकनीकी प्रशिक्षण विद्यार्थियों को दिया गया।