कटनी।आपसी सदभाव के सतरंगी पर्व होली पर स्थानीय गर्ग चौराहे में प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी अखिल भारतीय विराट कविसम्मेलन का ऐतिहासिक आयोजन किया गया।
एक शाम शहीदों के नाम होली हास्य हंगामा नगर के ख्यातिलब्ध हास्य व्यंग्य कवि श्री मनोहर मनोज के सानिध्य एवं कटनी टेंट लाईट एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री अजय सरावगी के संयोजन में आयोजित किया गया।।।कटनी टेंट लाईट एसोसिएशन एवं मुक्तिधाम विकास समिति द्बारा आयोजित कविसम्मेलन में देश के ख्यातिलब्ध कवियों ने देर रात तक समा बांधा।कार्यक्रम का सफल संचालन देश के ओजस्वी कवि शशिकांत यादव ने किया।
होली के पावन पर्व पर 15मार्च को गर्ग चौराहे में सायं 7बजे से हास्य व्यंग्य श्रृंगार रस के कवियों की महफिल सजी।
अतिथि कवियों ने मां वीणावादिनी के तैलचित्र पर माल्यार्पण कर दीफ प्रज्जवलित किया तथा अजय सरावगी एवं समाजसेवी अभिलाष दीक्षित ने संचालक श्री शशिकांत यादव का पुष्पमालाओं से अभिनंदन किया।कार्यक्रम आयोजक मंडल ने सभी कवि का स्वागत किया।प्रियंका मिश्रा ने मां सरस्वती की वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
कविसम्मेलन में राव अजात शत्रु (उदयपुर)अखिलेश द्बिवेदी (प्रयागराज)सुनील गाईड तराना हास्य श्रद्धा शौर्या (नागपुर) आशीष सोनी (गाडरवारा) प्रियंका मिश्रा (विजयराघवगढ) हीरामणि वैष्णव (कोरबा) विकास बैरागी (नरसिंहपुर)नगर के साहित्यकार सतीश आनंद प्रियंका मिश्रा ने शानदार काव्यपाठ किया।होली पर आयोजित कविसम्मेलन में साहित्यप्रेमियों की बडी संख्या में उपस्थिति रही।
*कवियों ने इस अंदाज में सजायी महफिल*
*रील बन रही चौबीस घंटे नहीं कर रहीं काम*
*चलातीं दिनभर इंस्टाग्राम*
विकास बैरागी
*कलयुगी द्रोपदी ने कृष्ण को पुकारा प्रभु
देखो ये दुशासन मुझे साड़ी पहनाता है
रोते रोते कॉलेज में बोल उठे द्रोणाचार्य
एकलव्य मेरा ही अंगूठा काट जाता है*
राव अजातशत्रु
*ऐसे रंग डालो कि तन-मन तिरंगा हो जाए*
*ऐसी भंग पीसो कि जन-गण तिरंगा हो जाए*
*मिले मौका तो मैं भी खेलूँ खून की होली*
*पाऊँ शहादत और कफ़न तिरंगा हो जाए*
आशीष सोनी गाडरवारा
*जब कपोल पर रँग दिया, प्रिय ने प्रेम गुलाल*,
*धड़कन-धड़कन का हुआ, हाल सखी बेहाल*
प्रियंका मिश्रा
*रात दिन जो भाग-भाग कर खूब सजाई शाम*
*ऐसे आयोजकों को मेरा बारंबार प्रणाम*
हीरामणी वैष्णव
*हे विरहणी! व्यर्थ के आलाप गाना छोड़ दे*
*वेदना के फिर वही सब ताप गाना छोड़ दे*
*कंठ में भर चेतना के स्वर, जगा जा तू अलख*
*गान कर वरदान का, अभिशाप गाना छोड़ दे*
श्रद्धा शौर्य
*मत तू बात हमारी रख
टुच्चेपन को जारी रख*
*भूल न जाए लोग तुझे
थोड़ी-बहुत उधारी रख*
सुनील गाइड
*इनकी रही उपस्थिति*
भगवान दास माहेश्वरी पप्पू बजाज सुबोध शर्मा अभिलाष दीक्षित शरद जायसवाल पप्पू पुलिस बल्लू ग्रोवर
रामखिलावन गर्ग कैलाश जैन सोगानी सीमा सोगानी रम्मू दादा पप्पू गोयनका किशन शर्मा बल्लू चौदहा पुत्तू दीक्षित रजनीकांत गुप्ता कमल खूबचंदानी राजू सरदार दीपक सरावगी खियलदास पंजवानी राम मोटवानी यमुना पप्रसाद केसरवानी सौरभ जैन अज्जू मोना सतीश खम्परिया वंशी निषाद यंजीत रैकवार नरेन्द्र केसरवानी मनीष निषाद संजय तिवारी दौलत मेहानी नरेश श्रीवास्तव सुनील रजक केशव साहू ईमाम उद्नी विनोद जायसवाल राजू पटैल विनोद बेन भवानी तिवारी अथर्व तिवारी सहित बडी संख्या में लोगों की उपस्थिति रही।कार्यक्रम के अंत में भगवान दास माहेश्वरी ने आभार व्यक्त किया तथा आयोजक अजय सरावगी ने कहा कि साहित्य की इस परंपरा को हर वर्ष बनाये रखेगे।