एड देवेंद्र वर्मा राष्ट्रीय सचिव अखिल भारतीय ओबीसी महासभा ने जारी प्रेस विज्ञप्ती में बताया है कि भारत सरकार आम नागरिकों के लिए बेहद सुविधा उपलब्ध करा रही है आयुष्मान कार्ड सहित विभिन्न योजनाएं स्वास्थ्य विभाग को लेकर संचालित हो रही हैं वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा भी समय-समय पर स्वास्थ्य मंत्रालय एवं संबंधित अधिकारियों को समुचित दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं उसके बावजूद भी छिंदवाड़ा जिले में सरकार के द्वारा दिए जा रहे दिशा निर्देशों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है जिला प्रशासन खाना पूर्ति करते हुए मॉनिटरिंग व जांच करता है किंतु परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण विभाग भारत का राजपत्र एवं मध्यप्रदेश का राजपत्र में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग अधिसूचना में दिए गए प्रावधानों का खुला उल्लंघन इन दोनों छिंदवाड़ा जिले में देखा जा रहा है जहां पर मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक शहर छिंदवाड़ा में निजी क्लीनिक और प्राइवेट अस्पतालों में सेवाएं देते हुए नजर आ जाएंगे और जिला चिकित्सालय छिंदवाड़ा के चिकित्सकों और मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों के बीच तनातनी का माहौल बना रहता है जिसके कारण मरीज के परिजनों ने आरोप लगाया कि उनका इलाज ठीक ढंग से नहीं हो पाता है आयुष्मान कार्ड रहने के बाद भी निजी चिकित्सालय में आयुष्मान कार्ड धारी से मोटी रकम लिए जा रहे हैं शासकीय कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधा भी नाम मात्र की खानापूर्ति कर ली जाती है और भारी भरकम बिल लगाया जा रहा है और शासन को चूना लगाया जाता है जिला चिकित्सालय छिंदवाड़ा में चिकित्सकों के सभी के दिन निर्धारित हैं और मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों की यूनिट भी बनी हुई है अगर मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक द्वारा मरीज को भर्ती किया गया है चिकित्सा व उपचार यही लोग करेंगे और दिन भी अलग-अलग बने हुए हैं जिस दिन जिस चिकित्सक की ड्यूटी होगी वही उस मरीज को यूनिट में देखेगा और जिला चिकित्सालय छिंदवाड़ा के चिकित्सक की ओपीडी में जिस चिकित्सक की ड्यूटी होगी वही उसे मरीज को उसी दिन देखेगा और रविवार या अन्य त्यौहार की छुट्टी के दिन तो मरीज के लिए भगवान ही मालिक होता है गंभीर बीमारी या दुर्घटना से ग्रसित मरीज के परिजन परेशान रहते हैं इसी कारण से इन चिकित्सकों के गुर्गे मरीज के परिजनों को अत्यधिक परेशान तंग करते रहते हैं और फिर उन्हें में से कई एजेंट जो चिकित्सकों के एजेंट होते हैं उनके निजी क्लीनिक पर जाने का दबाव बनाते हैं और जिला चिकित्सालय में जो जांच होना चाहिए वह समय पर नहीं मिल पाती और लंबी-लंबी लाइन रहती हैं परेशानियों से बचने के लिए इन गुर्गों द्वारा शहर में मक्कड जाल सी फैली गाजर घास की तरह उगी बेतहाशा पैथोलॉजी लैब का संचालन इन्हीं के द्वारा करवाया जाता है और वहां पूरा कमीशन का खेल चिकित्सक ,पैथोलॉजी लैब और उनके पले हुए गुर्गे के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग से जुड़े लोगों के एवं संबंधित अधिकारियों के बीच कमीशन पहुंच जाती है जिसके कारण शिकायत होने के बाद भी खाना पूर्ति कर ली जाती है और मरीज के जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है कई खून पेशाब की जांचों के लिए विशेषज्ञ की आवश्यकता होती है वह विशेषज्ञ लैब में नहीं होते हैं रेट लिस्ट भी नहीं और ना ही वाहन पार्किंग की व्यवस्था होती है विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है मरीज के सैंपल के लिए जो कक्ष होना चाहिए वह नहीं होता है और महिलाओं के लिए जो सुविधा होना चाहिए वह भी नहीं होती जो सुविधाएं और अनुबंध में दर्शाया गया है वह पालन भी नहीं होता है कमीशन बाजी के चक्कर मे कम रुपयो में बिना प्रशिक्षित नए-नए नोसिखियों की भर्ती कर ली जाती है और इन्ही नौसिखियों के माध्यम से घरों में सेम्पल लेने वाहनों के माध्यम से जाकर सैंपल लिया जाता है कई वाहन के संपूर्ण दस्तावेज भी नहीं रहते हैं और उन चालकों के पास लाइसेंस भी नहीं होता है और ना ही वाहनों में बीमा होता है जिससे दुर्घटनाएं घटित होती हैं और इन चिकित्सकों के निजी क्लीनिक या अस्पताल में उनके गुर्गे बैठा दिए जाते हैं वहां निर्धारित पैथोलॉजी लैब में ही जांच के लिए दबाव बनाया जाता है एक पैथोलॉजी एक स्थान पर न होकर अनेक स्थानों पर एक ही नाम के साथ संचालित होती है केयर पैथोलॉजी इसका जीता जागता उदाहरण है गैर पैथोलॉजी के नाम पर छिंदवाड़ा शहर में ही पांच जगह सैंपल की जांच की जा रही है और सिंगोड़ी अमरवाड़ा परासिया जमाई उमरानाला सौसर पांढुरना में भी केयर पैथोलॉजी संचालित है और संचालक वही है उनके डॉक्टर भी वही है सभी जगह जांच का सैंपल लिया जा रहा है और रिपोर्ट भी कंप्यूटर कृत हस्ताक्षर युक्त दी जा रही है जिला प्रशासन मौन क्यों है यह आम जनमानस में चर्चा का विषय बना हुआ है छिंदवाड़ा जिले के अलावा कलेक्शन सेंटर के नाम पर तो कहीं पैथोलॉजी के नाम पर धड़ल्ले से दुकान चल रही है कई बार देखा गया है कि परिजनों ने एक जांच के लिए निवेदन किया परंतु उनसे अनेकों जांच करने का दबाव बनाते हुए पैथलाजी द्वारा जांच कर ली जाती है और मोटी रकम एक ही जगह जाती है ऐसा ही वाक्यांश परासिया रोड़ में स्थित पैथोलॉजी लैब नरसिंहपुर रोड में स्थित पैथोलॉजी और जिला चिकित्सालय के सामने स्थित पैथोलॉजी लैब में आसानी से देखी जा सकती है उपकरण और कोगुल्युलेशन परख हार्मोन जैविक परीक्षण टयूमर मार्कर प्लाज्मा प्रोटीन इलेक्ट्रोफॉरेसिस की आवश्यकता होती है किंतु कई जगह यह सुविधा भी नहीं है एमडी या डिप्लोमा आफ नेशनल बोर्ड डीएनबी या क्लीनिकल विकृति विज्ञान में डिप्लोमा डीपी या बैचलर ऑफ मेडिसिन और बैचलर ऑफ सर्जरी एमबीबीएस सहित उपयुक्त में से किसी एक में डॉक्टर ऑफ फिलासफी एमडी या आउटसोर्स के आधार पर पूर्णकालिक या अथवा अंशकालिक चिकित्सक की आवश्यकता होती है वह भी नहीं होता है और पूरा खेल एक ही समय में कई पैथोलॉजी लैब में एक ही चिकित्सक द्वारा हस्ताक्षर कंप्यूटरीकृत रहते हैं वह चिकित्सक भी छिंदवाड़ा जिले में नहीं रहते अन्य जिलों में भी इनके कई लेब पैथोलॉजी संचालित होते हैं और कई अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं इनकी सूक्ष्मता से जाँच व कार्यवाही हो जिससे मरीजों के साथ हो रहे खिलवाड़ कमीशन बाजी और मुनाफाखोरी को रोका जा सकेगा अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय सचिव एवं ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन के छिंदवाड़ा इकाई के अध्यक्ष एडवोकेट देवेंद्र वर्मा ने मध्य प्रदेश सरकार और भारत सरकार से आग्रह किया है कि मरीज 6के साथ जो खिलवाड़ हो रहा है वह बंद होना चाहिए और कमीशन एजेंट दलाली प्रथा कमीशनखोरी को रोका जाना चाहिए शीघ्र ही सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो अखिल भारतीय ओबीसी महासभा पूरे मध्यप्रदेश में धरना आंदोलन करेगा जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।
*संवाददाता शुभम सहारे छिंदवाड़ा*