कालापीपल(बबलू जायसवाल)नगर में डीजे का उपयोग इन दिनों शादी-विवाह में जमकर हो रहा है।कलेक्टर सुश्री ऋजु बाफना के द्वारा शाजापुर जिले में प्रतिबंध के बावजूद इनकी कानफाड़ू आवाज गूंजती है। यह स्वास्थ्य संस्कृति और पर्यावरण तीनों के लिए घातक है।लेकिन प्रशासन इस दिशा में कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है।शादी-विवाह में इन दिनों धड़ल्ले से डीजे (DJ) का इस्तेमाल हो रहा है।इनकी कानफाड़ू आवाज स्वास्थ्य के साथ पर्यावरण पर भी बुरा असर डाल रही है।लेकिन प्रतिबंध के बावजूद भी इनका शोर कम होने का नाम नहीं ले रहा है”लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं”आम जन पीडि़त होते हुए भी इस लिए आवाज नहीं उठा पाते कि सार्वजनिक मामला है।
(हृदय रोगियों के लिए घातक है डीजे का शोर)
प्रशासनिक उदासीनता का आलम यह है कि न्यायालय का आदेश भी इन दिनों अधिकारियों के पैरों तले कुचला जा रहा है,शादी-विवाह,बरात में ट्रैक्टर ट्रॉली,पिकअप वैन आदि पर बड़े-बड़े साउंड बॉक्स और साउंड सिस्टम लगाकर तेज आवाज में दिन और रात गाने बजाए जा रहे हैं।ये गाने ऐसे होते जिनकी वजह से अभिभावको एवं बच्चों दोनों को असहज होना पड़ता है।लेकिन दूसरों के लिए यह कष्टकारक होता है।सुनने की क्षमता इससे प्रभावित होती है।
बैंड बाजा वालों की आजीविका पर असर….!
डीजे के शोर में पारंपरिक बैंड बाजा गुम होते जा रहे हैं। अमूमन बैंड बाजा बजाने वाले दबे कुचले और गरीब तबके के लोग होते हैं।विभिन्न न्यायालयों ने डीजे बजाने पर प्रतिबंध लगा दिया है,कई बार सरकारी आदेश भी इस संबंध में जारी हो चुका है,लेकिन प्रशासनिक उदासीनता का आलम यह है कि मुट्ठी भर डीजे संचालकों को ये रोक नहीं पाते…!