कई आदेश ऐसे निकालते रहते हैं । हमें किस बात का डर,हमे तो जैसे ड्यूटी करनी है, बस वैसे ही ड्यूटी करेंगे,,।
शासन के आदेशों के बावजूद भी समय से अधिकारी कर्मचारियों का मुख्यालय न पहुंचने पर ऐसे ही उनके मन की सोच हो सकती है ।
तभी तो वह आदेशों के बावजूद भी उन्हें कोई डर नही है और बेखोप होकर अपनी मर्जीअनुसार मुख्यालय पहुंच रहे हैं । या फिर फील्ड का बहाना करके घर में आराम फरमाते हैं।
ऐसा ही कुछ हाल कटनी जिले के रीठी महिला बाल विकास केंद्र परियोजना का है । जहां सुबह 10.30 बजे देखा गया कि चपरासी द्वारा केंद्र का ताला खोल के बैठा पाया गया । परंतु कोई भी अधिकारी कर्मचारी और न ही सुपरवाइजर वहां नहीं पाए गए। अधिकतर केंद्र के कर्मचारियों का मीटिंग व फील्ड का बहाना बताया जाता है । जबकि सुपरवाइजरों को फील्ड के दौरान निरीक्षण कर अपने क्षेत्र में ही हर सुपरवाइजर को मीटिंग लेना होता है । परंतु सभी सुपरवाइजर अपने अपने क्षेत्र की सहायिका और कार्यकर्ताओं को परेशान करते हुए, मुख्यालय में ही मीटिंग लेती है । जबकि परियोजना केंद्र क्षेत्र मैं 219 आंगनबाड़ी केंद्र और 8 सेक्टर सम्मिलित है। वही सूत्रों की माने तो क्षेत्र की आंगनवाड़ी केंद्र भी समय पर नहीं खुलती,या सहायिकाओं से केंद्र का ताला खुलवा लिया जाता है और बाद मैं वह अपने घरेलू कामकाज पूरा कर मनमर्जी अनुसार केंद्र पहुंचती है
केंद्रों में होने वाले साप्ताहिक बाल कार्यक्रम भी समय पर नहीं हो पाते है । जिसका खमीजा गर्भवती महिलाओं और धात्री महिलाओं तथा ननिहाल बच्चों को भुगतना पड़ता है ।
अब सवाल उठता है कि यदि आदेशों के बावजूद भी समय अनुसार कार्यालयों में विभागीय अधिकारी नहीं पहुंच रहे तो फिर इन आदेशों की रस अदायगी क्यों,,?,
हरीशंकर बेन