चायनीज मांझे के ट्रांसमिशन लाइनों से संपर्क में आने से संभावित दुर्घटना के बचाव हेतु एम.पी. ट्रांसको का रोको-टोको अभियान.
मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी ( एम पी ट्रांसको) की ट्रांसमिशन लाइनों के समीप चायनीज मांझे से पतंग उड़ाने के कारण संभावित दुर्घटना की आशंकाओं पर अंकुश लगाने व नागरिकों को सतर्क व सुरक्षित करने प्रदेश में एम.पी. ट्रांसको ने रोको-टोको अभियान चलाया है। जिसके लिये एम.पी. ट्रांसको ने स्थानीय जिला प्रशासन से चायनीज मांझे के इस्तेमाल पर रोक तथा ट्रांसमिशन लाइनों के समीप के उन क्षेत्रों को संवेदनशील और खतरनाक घोषित करने के लिये पत्र लिखकर अनुरोध किया है, जहॉं दुर्घटनाओं की आशंकाए अधिकतम है।
एम.पी. ट्रांसको के मुख्य अभियंता संदीप गायकवाड़ ने बताया कि प्रदेश में बहुतायत पतंग उड़ाये जाने वाले संवेदनशील क्षेत्रों में नागरिकों से व्यक्तिगत संपर्क करने के अलावा पोस्टर बैनर एवं पब्लिक एड्रेस सिस्टम के माध्यम से उन्हें सचेत एवं सतर्क किये जाने का अभियान भी चलाया जा रहा है। जिससे नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके साथ ही उपभोक्ताओं को विद्युत के अनावश्यक व्यवधान का सामना न करने पडे़।
दरअसल गत वर्ष राजधानी भोपाल, इंदौर, उज्जैन, धार सहित कुछ स्थानों पर ट्रांसमिशन लाइनों में चायनीज मांझा के साथ पतंग फंसने की घटनाओं के बाद विद्युत व्यवधान हुआ था तथा पतंग उड़ाने वालों को भी नुकसान पहॅुचा था। लेकिन एम.पी. ट्रांसको के संवेदनशील प्रोटेक्शन सिस्टम के 100 प्रतिशत ऑपरेट होने से बड़ी जनधन हानि से बचा जा सका था।
क्यों घातक है चायनीज मांझा :-
चायनीज मांझा चीन से आने वाले धातु से लिपटी पतंग की डोरी होती है। इसमें कई तरह के केमिकल और धातुओं का इस्तेमाल किया जाता है, जो डोरी को बिजली का अच्छा सुचालक बना देता है, जो संपर्क में आने से पतंग उड़ाने वाले के लिये घातक साबित होता है, साथ ही ट्रांसमिशन लाइन में लिपटने से व्यापक क्षेत्र में विद्युत व्यवधान और जनधन हानि की आशंका रहती है।
जबलपुर के ये है क्षेत्र संवेदनशील :-
जबलपुर में ऐसे क्षेत्र पोलीपाथर, शास्त्री नगर, करमेता, अधारताल कंचनपुर के क्षेत्र है, जो चाइनीस मांझे के साथ पतंग उड़ाने के प्रति संवेदनशील है।