छिन्दवाड़ा:- संविधान निर्माता डॉ. आम्बेडकर द्वारा पंजीकृत संगठन भारतीय बौद्ध महासभा के तत्वाधान में भीमा कोरेगांव शौर्य दिवस समारोह का आयोजन छिन्दवाड़ा के डॉ. आम्बेडकर तिराहे पर महासभा के ट्रस्टी चेयरमेन डॉ.चन्द्रबोधी पाटिल के निर्देशानुसार किया गया इस अवसर पर सर्वप्रथम संविधान निर्माता डा.बाबा साहब आम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण भारतीय बौद्ध महासभा प्रदेश उपाध्यक्ष एड.रमेश लोखंडे , जिला उपाध्यक्ष एड.राजेश संागोडे ,संगठक वसंता सोमकुंवर ,एड.प्रशांत गजभिये ,भीमराव सोमकुंवर ,वंदना सोमकुंवर ,जयश्री सोमकुंवर ,ओमकार चौहान सहित कई उपासक उपासिका एवं भीम सैनिकों द्वारा किया गया तदुउपरांत प्रदेश उपाध्यक्ष एड.लोखंडे द्वारा पंचशील ध्वजारोहण कर सुजाता महिला संघ द्वारा सामूहिक बुद्ध वंदना की गयी ,इस अवसर पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं प्रिंट मीडिया एवं भारतीय बौद्ध महासभा के
पदाधिकारियो को संबोधित करते हुये ,प्रदेश उपाध्यक्ष एड.रमेश लोखंडे द्वारा कहा कि 1 जनवरी 1818 को विश्व भूषण डॉ. बाबा साहब आम्बेडकर जी की स्वाभिमानी कोम महार कम्युनिटी द्वारा लड़ा गया। भीमा कोरेगांव संग्राम बहुजन विचारधारा विरोधियों द्वारा अस्पृश्यों के साथ किये जा रहे उत्पीड़न से तंग आकर उनसे छुटकारा पाने के लिये क्रांतिकारी कदम था। 11 मार्च 1689 को तत्कालीन कटरपंथी लोगों की सहायता से मुगल बादशाह औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी महाराज की धोखे से हत्या कर दी थी उनकी हत्या का बदला लेने के लिये मात्र 500 महार सैनिकों के द्वारा पेशाओं के 28000 से अधिक पेशवा सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था उनको श्रद्धा सुमन अर्पित करने हेतु 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव पहंुचकर वीर सैनिकों को श्रद्धा सुमन अर्पित करते है। जहाँ एक ओर सम्पूर्ण विश्व के नागरिक 1 जनवरी को नववर्ष के रूप में मनाते है , परंतु डॉ.आम्बेडकर वादी जनता इस ऐतिहासिक दिन को शौर्य दिवस के रूप में मनाती है ,यह दिन संपूर्ण बहुजनों को प्रेरणा देने वाला दिन है। 1 जनवरी 1818 को पूने के पास भीमा नदी के तट पर भीमा कोरेगांव में महार रेजीमेंट के 500 सैनिकों द्वारा पेशाओं की 28000 से अधिक सैनिकों की सेना का पराभव किया था इसलिये इस युद्ध के अतुलीयन शौर्य ने विजय पराक्रम का ध्वज फहराया था इस ऐतिहासिक युद्ध भूमि पर महार रेजीमेट के सैनिकों के पराक्रम को स्मरण करने हेतु भीमा कोरेगांव में विजय स्तम्भ बनाया है इस विजय स्तम्भ को डॉ. बाबा साहब आम्बेडकर जी ने 1 जनवरी 1927 को हजारों उपासकों के साथ मानवंदना देने की संघर्ष करने की शुरूवात की थी। तब से विजय स्तम्भ शौर्य दिवस 1 जनवरी को डॉ. आम्बेडकर वादी जनता संघर्ष करने वाले सैनिकों को वंदन करने लाखों की संख्या में उपस्थित होकर अभिवादन करती हैं। हमें भीमा कोरेगांव शौर्य दिवस में युद्ध लड़ने वाले महार रेजीमेंट के भीमसैनिकों के आदर्शो पर चलने की आवश्यकता बताते हुये आये दिन भारतीय संविधान पर होने वाले हमलों के खिलाफ लड़ने तथा देश के तमाम बहुजनों को भारतीय संविधान के मूल्यों की रक्षा करने की आवश्यकता बतायी ।
*संवाददाता शुभम सहारे छिंदवाड़ा*