सिरोंज
श्रीमद् भागवत कथा में आज सुदामा चरित्र कथा श्रवण करवाई गई ।
सिरोंज से ब्यूरो _ कल्याण सिंह दांगी
कथावाचक निखिल भारद्वाज श्री राम वृंदावन कुरावर एवं सुंदर झांकी की प्रस्तुति गई दी गई आयोजन करता सिर्फ प्रेम नारायण जी उपाध्याय एवं समस्त ग्रामवासी झंडबा इसमे कलियुग के दोषों से बचने के उपाये – केवल ‘नामसंकीर्तन’ है। मृत्यु तो परीक्षित जी को आई ही नही क्योकि उन्होने उसके पहले ही समाधि लगाकर स्वयं को भगवान मे लीन कर दिया था। उनकी परमगति हुई क्योकि इस भागवत रूपी अमृत का पान कर लिया हो उसे मृत्यु कैसे आ सकती है।
इस पुराण में वर्णाश्रम-धर्म-व्यवस्था को पूरी मान्यता दी गई है तथा स्त्री, शूद्र और पतित व्यक्ति को वेद सुनने के अधिकार से वंचित किया गया है। ब्राह्मणों को अधिक महत्त्व दिया गया है। वैदिक काल में स्त्रियों और शूद्रों को वेद सुनने से इसलिए वंचित किया गया था कि उनके पास उन मन्त्रों को श्रवण करके अपनी स्मृति में सुरक्षित रखने का न तो समय था और न ही उनका बौद्धिक विकास इतना तीक्ष्ण था। किन्तु बाद में वैदिक ऋषियों की इस भावना को समझे बिना ब्राह्मणों ने इसे रूढ़ बना दिया और एक प्रकार से वर्गभेद को जन्म दे डाला। आज भागवत कथा का विशालतम रूप में समस्त ग्राम वासियों की ओर से भंडारा किया गया एवं कन्या भोज कर कथा का समापन किया गया इस मौके पर हजारों की संख्या में लोग उपस्थित थे ।