एमपी में ऐसे कई शक्तिपीठ है। जिनकी पूजा अर्चना करने से मनचाहा फल भी मिलता है। एक ऐसा ही मंदिर दतिया से 5 किमी दूर खैरीमाता मंदिर है। जहां मां का दिन में तीन बार स्वरूप बदलता है। सुबह बाल अवस्था, दोपहर में युवा अवस्था और शाम को बद्ध अवस्था में मां के दर्शन होते हैं।
दतिया में प्रसिद्ध खैरी माता का मंदिर पहाड़ों पर स्थित है। नवरात्रि में सुबह चार बजे से ही भक्तों का तांता लगने लगता है। मंदिर के चारों ओर पहाड़ी पर खैर के पेड़ों का अंबार है। इसलिए इस मंदिर का नाम खैरी माता मंदिर पड़ा। ओरछा के शासक वीर सिंह जूदेव ने 1658 में इस मंदिर की स्थापना करवाई थी। इसके बाद सतखंडा महल समेत बाकी निर्माण कार्य कराए गए। खैरी माता मंदिर 365 साल पुराना है।
खैरीमाता मंदिर नवरात्रि में काफी चर्चित रहता है। यहां आने वाले श्रद्धालु जल अभिषेक करते हैं। माता खेरी का प्राचीन मंदिर दतिया और सूर्य नगरी उनाव बालाजी के मध्य में पड़ता है। इसलिए यंहा उनाव से लगे उत्तर प्रदेश राज्य के झांसी जिले से भी श्रद्धालुओं का आने का सिलसिला बना रहता है।