रियोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम। मां नर्मदा के विश्व प्रसिद्ध सेठानी घाट पर प्रतिवर्षानुसार 27 सितंबर से 18 दिवसीय एतिहासिक श्री रामलीला महोत्सव का आयोजन हो रहा है। श्री रामलीला महोत्सव के संयोजक प्रशांत मुन्नू दुबे द्वारा जानकारी दी गई कि महोत्सव का यह 44 वा वर्ष है। महोत्सव की शुरुआत श्री राम मंदिर में मुकुट पूजन और अनुष्ठान से हुई है। महोत्सव के प्रथम दिवस श्रीशंकर विवाह एवं नारद मोह की लीला के साथ मंचन का शुभारंभ हुआ। मंगलवार 1 अक्टूबर को श्रीरामलीला महोत्सव में धनुषयज्ञ की लीला अयोजन हुआ। वहीं बुधवार 2 अक्टूबर को सेठानी घाट स्थित रामलीला महोत्सव के मंच से भगवान श्रीराम की भव्य बारात नगर के प्रमुख मार्गो से निकल गई। मंगलवार को श्री रामलीला महोत्सव में धनुष या की लीला संपन्न हुई। इस अवसर पर
महाराजा जनक अपनी पुत्री के स्वयंबर के लिए यह प्रतिज्ञा करतें हैं कि जो कोई भी उनके महल में स्थापित भगवान शंकर के भव्य धनुष ‘ पिनाक ‘ की प्रत्यंचा चढ़ाएगा या उसको भंग करेगा उसी से जनकनन्दिनी सीता का विवाह होगा । सीता के स्वयंबर में देश देशांतर के राजा , राजकुमारों के साथ लंकाधिपति रावण , श्रोणितपुर से बाणासुर सहित कई महाराजा जनकपुर पहुंचते हैं और अपने पराक्रम को दिखाते हुए पिनाक धनुष को उठाने का प्रयास करतें हैं लेकिन सभी असफल होते हैं तभी मुनि विश्वामित्र के आदेश से श्रीरामजी भव्य धनुष पिनाक को उठाने में सफल हो जाते हैं , और प्रत्यंचा चढ़ाते समय धनुष भंग हो जाता है , महाराज जनक की प्रतिज्ञा अनुसार सीता जी श्रीरामजी को वरमाला पहना देती हैं तभी दूरस्थ भगवान परसुराम जी को आभास होता है कि कुछ हुआ है वे मन की गति से तुरंत जनकपुर आतें हैं जहां उनका राजा जनक , श्रीराम, लक्ष्मण से संवाद होता है अंत में उनको लगता है कि विष्णुजी ने अवतार ले लिया है । लीला में प्रतीक दुबे ने श्रीराम , अक्षय मिश्रा ने लक्ष्मण , सम्पूर्ण चतुर्वेदी ने सीता , सुभाष परसाई ने रावण , दीपेश व्यास ने बाणासुर ,गोपाल शुक्ला ने परशुराम , आराध्य गार्गव ने साधु राजा , अरुण तिवारी ,पुनीत पाठक ने सुमति विमती और मनोज दुबे ने सतानंद की भूमिका निभाई ।