नाडेप टांका एवं हरी खाद निर्माण का तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया।
कटनी। मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग द्वारा विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ स्वरोजगार स्थापित करने के लिए व्यावसायिक शिक्षा के अंतर्गत वीरांगना रानी दुर्गावती शासकीय महाविद्यालय बहोरीबंद में प्राचार्य डॉक्टर इंद्र कुमार पटेल के मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण समन्वयक मंजू द्विवेदी तथा विवेक चौबे के सहयोग से जैविक कृषि विशेषज्ञ राम सुख दुबे द्वारा जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कम लागत तकनीकी जीरो बजट फार्मिंग के अंतर्गत नाडेप टांका खाद एवं हरी खाद निर्माण तथा फसलों में उपयोग का तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया। हरी खाद के लिए दलहनी फसलों के अंतर्गत सन ढेंचा उड़द मूंग लोबिया बरसीम आदि फसलों को सिंचित अवस्था में मानसून आने के 15 से 20 दिन पूर्व या असिंचित मैं मानसून आने के तुरंत बाद हरी खाद के लिए उपयोग में लाई जाने वाली दलहनीफसलों के बीज बतलाई गई विधि से बोना चाहिए। एक से डेढ़ माह की फसल को डिस्क हैरो या रोटावेटर चला कर पौधों को पलट दें तथा पाटा चलावे। खेत में 5 से 6 सेंटीमीटर पानी भरने से 8 से 10 दिन में पौधों के सड़ने से खाद बन जाती है। इसके बाद धान का रोपा लगाने से नाइट्रोजन की पूर्ति होती है। नाडेप टांका खाद निर्माण से चार माह में 25 से 30 क्विंटल बनाकर एक हेक्टर में उपयोग करने पक्का नाडेप टटिया नाडेप एवं कच्चा या भू नाडेप खाद निर्माण की तकनीकी जानकारी दी गई। खाद बनाने के लिए सबसे नीचे परत में 6 इंच कचरा दूसरे परत में गोबर पानी का घोल का छिड़काव तथा तीसरे परत में मिट्टी डालकर तीन परत की एक तह बनाई जाती है। 10 से 12 तह भरकर गीली मिट्टी से छपाई कर गाय के गोबर से लिपाई कर देते हैं। चार माह में खाद तैयार हो जाती है।