रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम। जैन धर्मावलंबियों का आत्मशुद्धि का दस दिवसीय पर्यूषण पर्व नगर में पूरी धार्मिक प्रभावना के साथ मनाया जा रहा है। मंगलवार को पर्युषण पर्व के तीसरे दिन उत्तम आर्जव धर्म धार्मिक प्रभावना के साथ मनाया गया। दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष संतोष जैन ने बताया कि प्रात: से सभी श्रावक श्रेष्टि परिवार मंदिर जी में उपस्थित हुए ।यहां पर उन्होंने अपने विनय पूर्वक श्री जी की अभिषेक शांति धारा नित्य नियम पूजा के उपरांत दस लक्षण विधान का धर्म लाभ लिया श्रवण संस्कृति संस्थान सांगानेर से पधारे पंडित पंकज जी जैन द्वारा पर्यूषण पर्व पर विशेष अनुष्ठान किए जा रहे हैं इसी क्रम में आज उन्होंने आर्जव धर्म की प्रभावना एवं महत्व को बताया।।आर्जव का मतलब जीवन में सरलता आ जाना ही उत्तम आर्जव है । ऋजुता के भाव होना ही आर्जव है । हमारे जीवन मे ऋजुता तभी आएगी जब हम अन्दर बाहर से एक हो जाए। जैन धर्म बुरे कर्मों का नाश करके हमें सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। भगवान महावीर के सिद्धांतों को ध्यान में रखकर हमें निरंतर और खासकर पर्युषण के दिनों में आत्मसाधना में लीन होकर धर्म के बताए गए रास्ते पर चलना चाहिए।मन ,वचन ,काय में समानता आना ही आर्जव भाव है। हमारे भावो में जितनी सरलता आती जाएगी हमारी दुर्गतियों का नाश होता जाएगा। शास्त्र में कहा भी गया है कि उत्तम आर्जव कपट मिटावे,दुर्गति त्याग सुगति उपजावे। मोक्ष मार्ग प्रशस्त हो इसके लिए आर्जव धर्म का पालन ही नितांत आवश्यक है सायँ काल मंदिर जी में भव्य मंगल आरती प्रवचन एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ।