कहते हैं कि अगर पुलिस चाहे तो मुर्दे को जमीन से भी खोद कर निकाल लेती है ,यह आज रहटगांव पुलिस द्वारा सिद्ध कर दिखाया। रहटगांव थाना में जुलाई 2013 में फरियादी की रिपोर्ट दर्ज राजसिंह (परिवर्तीत नाम)की तलाश में काफी प्रयास किए गए किंतु गुमशुदा के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलने पर जनवरी 2017 में गुमशुदा के पिता द्वारा विशेष सत्र न्यायालय हरदा में परिवाद दायर करते हुए गांव के पांच लोगों के विरुद्ध अपने गुमशुदा पुत्र की हत्या करके साक्ष्य को खुर्द-बुर्द करने की नीयत से शव को छुपा देने व जान से मारने की धमकी देने के संबंध में धारा 302, 201, 506, भादवि व 3(2)(v) एससी -एसटी एक्ट का का परिवाद माननीय विशेष न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था ।जिससे विचरण उपरांत माननीय न्यायालय द्वारा महा अगस्त 2017 में निर्णय जारी कर परिवार में आए तथ्य अनुसार विधिवत प्रकरण कायम कर अनुसंधान करते हुए निर्देश दिए गए थे जिस पर आरोपी गण के विरुद्ध थाना रहटगांव में धारा 302, 201, 506, भादवी32)(v) एससी एसटी एक्ट का प्रकरण कायम कर अपराध क्रमांक 163/17 विवेचना में लिया गया एवं अनुसंधान के दौरान गुमशुदा मृतक राशि परिवर्तित नाम की तलाश के हर संभव प्रयास किए गए किंतु हत्या संबंधी कोई साक्षी नहीं मिलने के कारण महा अगस्त 2019 में खत्म कथा किया गया था। जो की विचारण के दौरान फरियादी मृतक के पिता के पुलिस कार्रवाई से संतुष्ट न होने पर फरवरी 2023 में खात्मा अस्वीकार कर विधिवत
अग्रिम अनुसंधान कार्रवाई हेतु निर्देश दिए गए थे। जो मामले को पुनः खात्मा खोला जाकर अनुसंधान के लिए लिया गया था। प्रकरण की विवेचना थाना प्रभारी वरिष्ठ स्तर के अलग-अलग अधिकारियों से कराई जा रही थी, किंतु मृतक गुमशुदा के जीवित या मृत्यु होने के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही थी।इसी दौरान जिला पुलिस अधीक्षक हरदा द्वारा महा सितंबर 2023 में प्रकरण की अग्रिम विवेचना हेतु एसडीओपी टिमरनी आकांक्षा तलैया को आदेशित किया गया था, जो कि विवेचक आकांक्षा तलैया द्वारा मामले में अनुसंधान के दौरान मृतक के परिजन, ग्राम वासियों व संदेहियों से पुनः पूछताछ की गई जिससे मृतक पक्ष व आरोपी पक्ष के बीच पुरानी रंजीत जैसे कोई साक्ष्य नहीं मिले ।क्योंकि मामले में लगातार मृतक के सब को तलाशने की दिशा में प्रयास किया जा रहे थे ,किंतु सफलता नहीं मिलने से पुनः जानकारी प्राप्त की गई व निरंतर पूछताछ एवं पतारसी करके जानकारी प्राप्त हुई कि मृतक/ गुमशुदा का रहन-सहन और बात करने का तरीका किन्नर जैसा था जो की जिससे विवेचना में एक दिशा मिली एवं इस दिशा में कार्य करना प्रारंभ किया गया। विवेचक एसडीओपी टिमरनी द्वारा रुचि लेते हुए कार्य किया गया एवं प्रकरण में अपने सहायता थाना प्रभारी उप निरीक्षक मानवेंद्र सिंह भदोरिया के नेतृत्व में टीम गठित कर जिला हरदा व आसपास के जिलों में किन्नर टोलीयों से फोटो पंपलेट व हुलिये के आधार पर पूछताछ की गई एवं मुखविंर तंत्र को सक्रिय किया गया। जिससे मृतक /गुमशुदा राजसिह (परिवर्तित नाम) के जीवित होने व दिल्ली व पंजाब की अलग-अलग क्षेत्र में किन्नर के रूप में रहकर जीवन यापन करने की जानकारी संज्ञान में आई जो मुखबिर एवं तकनीकी प्रयोग से घटना के 11 वर्षों बाद पुलिस टीम ने दिल्ली से मामले में गुमशुदा राजसिंह (परिवर्तित नाम )को सुरक्षित दस्तयाब करने में सफलता प्राप्त की।
पुलिस अधीक्षक हरदा अभिनव चौकसे के निर्देशन में 11 वर्षों से लापता, जिसके विषय में हत्या व साक्ष्य छुपाने संबंधित मामला कायम है की दस्तयाब कर हरदा जिले की पुलिस ने बड़ी उपलब्धि प्राप्त की है। उक्त प्रकरण में विवेचक एसडीओपी टिमरनी आकांक्षा तलैया के साथ-साथ उप निरीक्षक मानवेंद्र सिंह भदोरिया की विशेष भूमिका एवं बीएम एस सोलंकी, प्र.आर. राकेश तुमराम, प्र.आर. रोहित रघुवंशी ,प्र. आर. बुदेश जोठे, आरक्षक राकेश पटेल ,आरक्षक अर्जुन लोवंशी ,आरक्षक लोकेश सातपुरे, आरक्षक रामजीलाल नारे की सराहनीय भूमिका रही।
हरदा से श्रीराम कुशवाह की रिपोर्ट