रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम/ग्वालियर। ग्वालियर के युवा कवि एवं साहित्यकार डॉ.लोकेश तिवारी की नवीन कृति “चिंतन सृजन” का लोकार्पण 4 अगस्त 2024 को सायं काल 4:30 बजे जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के गालव सभागार में किया गया ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीधर पराड़कर,राष्ट्रीय संगठन मंत्री अखिल भारतीय साहित्य परिषद ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार डॉ. केशव पांडेय , अध्यक्ष, “उद्भव” क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक संस्थान रहे। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि शिक्षाविद् जगदीश तोमर, पूर्व निदेशक प्रेम चंद सृजन पीठ उज्जैन एवं लखन लाल खरे, पूर्व प्राचार्य शासकीय महाविद्यालय, करेरा शिवपुरी रहे। सारस्वत अतिथि द्वय डॉ .पद्मा शर्मा प्राध्यापक महारानी लक्ष्मीबाई महाविद्यालय ग्वालियर एवं डॉ सुखदेव सेंगर संरक्षक साहित्य परिषद् भिंड रहे ।
प्रारम्भ में अतिथि परिचय अंशु सिंह भदौरिया ने किया। तत्पश्चात् अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलित कर माल्यार्पण किया गया। सरस्वती वंदना आरती “अक्षत” ने प्रस्तुत की। तत्पश्चात् अतिथियों का स्वागत शाल-श्रीफल एवं पुष्पहार से अनंगपाल सिंह भदौरिया, किंकरपाल सिंह जादौन डॉ. सुनील त्रिपाठी निराला भिंड, राम चरण चिराड़ “रुचिर” एवं हरीओम गौतम व राम दास माहौर आदि ने किया। इस के पश्चात् अतिथियों द्वारा पुस्तक का लोकार्पण किया गया।
पुस्तक के संदर्भ में अपनी समीक्षात्मक दृष्टि डालते हुए डॉ. सुखदेव सिंह सेंगर ने कहा “साहित्य का सृजन बहुत ही सूझबूझ एवं विविधता के साथ होता है, इसमें हर शब्द का प्रयोग, प्रभाव एवं शैली आदि महत्वपूर्ण होती है।” डॉ लोकेश की पुस्तक में इनका निर्वहन किया गया है।
अगले क्रम में डॉ. पद्मा शर्मा ने कहा रचनाकार इष्ट देव की उपासना करता है, तब सकारात्मक का एहसास उसके अंदर सृजन के रूप में होता है। डॉ लोकेश ने अपनी पुस्तक में समस्त विषयों को समाहित करते हुए सृजन को निभाया है। इसके पश्चात् डॉ. लखन लाल खरे ने कहा, डॉ. लोकेश की पुस्तक में शिवत्व, शिव की वृत्ति एवं शिव महिमा का समावेश है,समता का भाव सृजन में प्रयोग किया गया है। राष्ट्र के लिए सकारात्मक एवं प्रकृति दर्शन आदि परिलक्षित होते है।
शिक्षाविद् जगदीश तोमर ने विमोचित कृति पर अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि डॉ लोकेश की कृति साहित्य के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करेगी।इनका सृजन उत्कृष्ट है। इस पुस्तक में श्याम सुंदर दास, आचार्य रामचंद्र शुक्ल एवं महावीर प्रसाद द्विवेदी की झलक मिलती है।
अगले क्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए डॉ केशव पांडेय ने कहा साहित्य समाज के लिए बहुत ही प्रेरणादायी होना चाहिए । यह सब डॉ लोकेश जी ने अपनी पुस्तक में दर्शाया है। ऐसा ही चिंतन एवं लोक व्यवहार पुस्तक में समाहित होना साहित्यकार की सबसे अच्छी उपलब्धि होगी। मन,क्रम एवं वचन से जो बड़े होते हैं वही सिद्ध होते हैं।
कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में श्रीधर पराड़कर ने कहा डॉ लोकेश की पुस्तक “चिंतन मनन “शीर्षक पर पूर्णत: खरी उतरती है। साहित्यकार स्वयं साहित्य के लिए उत्तरदाई होता है।साहित्य सृजन में इसका विशेष महत्व होता है।
उद्बोधन के पश्चात् सभी मानचीन अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए, श्रीधर पराड़कर जी को स्मृति चिन्ह सिटी सेंट्रल स्कूल भिंड के आलोक, लवली शर्मा के द्वारा दिया गया। डॉ केशव पांडे जी को स्मृति चिन्ह सरप हाई स्कूल की प्राचार्य विनीता रानी अत्रि एवं शिक्षक मृदुला गुप्ता द्वारा दिया गया। अन्ना तिथियां को भी स्मृति प्रदान की गए जिनमें डॉ कृष्णकांत शर्मा, डॉ सुरेश सम्राट, हरि ओम गौतम, शिवदत्त कटारे , तहसीलदार , किकर पाल सिंह जादौन, डॉ सुखदेव माखीजा , भानु प्रताप तोमर राम प्रकाश अहिरवार, सूर्यभान गुर्जर आदि ने किया।
कार्यक्रम का संचालन राम लखन शर्मा “अंकित” ने किया।
इस अवसर पर डॉ मंजू लता आर्य, डॉ कुसुम भदौरिया, डॉ दीप्ति गौड, उमा उपाध्याय, रामचरण “रुचिर”, मंजु नरबरिया, डॉ.सुधीर चतुर्वेदी , प्रकाश मिश्र, राजेश अवस्थी लावा, समेश कटारिया , धीरज शर्मा, अवधेश त्रिपाठी, शिवम सिसौदिया, जगमोहन श्रीवास्तव, सरिता चौहान, डॉ मीना प्रसाद, डॉ करुणा सक्सेना , रामलाल साहू बेकस, नयन श्रीवास्तव, सुनील त्रिपाठी निराला,आदित्य अंशुधर, रवि बघेल,आशा पांडेय, एस एन पांडेय आदि सहित अनेक साहित्यकार एवं भारी संख्या में ग्वालियर में चंबल संभाग के साहित्यकार व गणमान्य जन्म उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के अंत में सभी का आभार प्रदर्शन डॉ. लोकेश तिवारी ने किया।