रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम। मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर द्वारा दिये गये निर्देशों के पालन में एवं अध्यक्ष प्रधान जिला एवं सेशन न्यायाधीश जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नर्मदापुरम के आतिथ्य में एवं श्रीमती शशि सिंह, सचिव / जिला न्यायाधीश की सहभागिता में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नर्मदापुरम द्वारा बुधवार को नर्मदापुरम स्थित आर्ष गुरूकुल महाविद्यालय में विधिक साक्षरता शिविर एवं पौधा वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
अध्यक्ष / प्रधान जिला एवं सेशन न्यायाधीश द्वारा शिविर में उपस्थित गुरूकुल के आचार्यों एवं शिष्यों को बताया कि समाज को स्वस्थ्य रखने के लिए कानून व्यवस्था आवश्यक है। साथ ही शिष्यों को मौलिक अधिकार एवं कर्तव्यों के बारे में बताया कि मौलिक अधिकार जहाँ हमें देश में कहीं भी स्वतंत्र रूप से रहने बसने की स्वतंत्रता देते हैं तो वहीं मौलिक कर्तव्य हमें देश के प्रति हमारे दायित्व को निभाने का आदेश देते हैं।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नर्मदापुरम की सचिव श्रीमती शशि सिंह द्वारा राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नालसा एवं मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर द्वारा संचालित की जा योजनाओं के संबंध में बताया गया। खासकर बच्चों के लिए नालसा द्वारा बनायी गयी नालसा बच्चों को मैत्रीपूर्ण विधिक सेवाएँ और उनके संरक्षण के लिए विधिक सेवाएँ योजना, 2015 के बारे में जानकारी दी गई। कि यह कभी भी प्रश्नगत नही किया जा सकता कि बच्चे किसी समाज का सबसे असुरक्षित हिस्सा होते हैं। वे विश्व जनसंख्या के लगभग एक तिहाई हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा यदि उन्हें पर्याप्त अवसर प्रदान नहीं किये जाता, उन्हें भविष्य का जिम्मेदार नागरिक बनाने का अवसर वर्तमान पीढ़ी के हाथ से निकल जायेगा। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सलिल बाली बनाम भारतीय संघ (यू.ओ.आई.) तथा अन्य, 2013, vii ए.डी. (एस.सी.) मामले में व्यक्त उपरोक्त सम्प्रेद्रण दर्शाता है कि युवा पीढ़ी के प्रति हमारा यह दायित्व है कि प्रत्येक बच्चे के लिए विधिक सेवा सहित सभी अवसर खोले जाएँ ताकि उनके व्यक्तित्व का समग्र विकास हो तथा उनकी क्षमता का शारीरिक, मानसिक, नैतिक व आध्यात्मिक विकास हो।
आर्ष गुरुकुल नर्मदापुरम के प्रधानाचार्य श्री सत्यसिंधु जी आर्य ने बताया की सन 1912 में आर्ष गुरुकुल की स्थापना हुई. इसे 111 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं. अभी तक आर्ष गुरुकुल पूरे देश में शिक्षा के क्षेत्र में भारत की संस्कृति को संजोए रखा है। प्राचीन ऋषि मुनि जो वेद संस्कृत द्वारा संस्कृति का पालन किया जाता था वैसे ही यह आर्ष गुरुकुल कर रहा है। पूरे भारतवर्ष के बच्चे यहां पर शिक्षा ग्रहण करते हैं। यहां किसी भी जाति का बंधन नहीं है। प्रत्येक जाति के बच्चों को यहां शिक्षा दी जाती है। गुरुकुल में संस्कृति और उपनिषदों की शिक्षा दी जाती है। गौ शिक्षा, यज्ञ शिक्षा की जो हमारी शिक्षाएं हैं। आचार्य आयुष ने बताया कि वर्तमान में भारत में हमारे आर्य संस्कृति को मानने वाले कई लोग हैं। आर्ष गुरुकुल नर्मदापुरम के शिष्य 24 देशों में जाकर प्रचार प्रसार और भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं।
उक्त शिविर के समापन उपरांत अध्यक्ष एंव सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा गुरूकुल में शिक्षा प्राप्त कर रहे शिष्यों को वृक्षों की महत्वता बताते हुये उन्हें अपने जीवन कम से कम 01 पौधा लगाने की बात कही गई एवं आम, आंवला, पीपल, सीताफल, जामुन, बेलपत्र, इमली, इत्यादि के पौधे वितरित किये गये।
उक्त शिविर में गुरूकुल के आचार्य श्री सत्यसिंधु जी आर्य, आचार्य, श्री दीपक आर्य, श्री धुरंधर जी आर्य, श्री मोहन शास्त्री आर्य, श्री भीमसिंह जी वानप्रस्थ न्यायाधीश कर्मचारीगण उपस्थित रहें।