रिपोर्टर शुभम सहारे
*मामला चौरई जनपद हीर्रि ग्राम पंचायत का*
*पुलिस कार्यवाही से असंतुष्ट परिजन*
*एसपी से न्याय की गुहार*
*एक सप्ताह बाद भी आरोपी खुलेआम घूम रहा है*
आदिवासी अत्याचार का यह कोई नया मामला नहीं है इसके पूर्व भी कई मामले प्रकाश में आए लेकिन राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण के चलते मामले को रफा-दफा कर दिए गए, पीड़ित परिजन न्याय के लिए दर-दर भटकने पर मजबूर हो गए आखिर क्यों नहीं मिलता है गरीब निर्धन आदिवासी परिवारों को न्याय? आखिर क्यों राजनीतिक प्रशासनिक संरक्षण पुलिस पर हो जाता है भारी? आजादी के 75 साल बाद भी न्याय के लिए दर-दर भटकने के लिए क्यों मजबूर है आदिवासी
ऐसा ही दिल दहला देने वाला एक मामला चोरई जनपद के ही ग्राम पंचायत का प्रकाश में आया है जहां आदिवासी महिला श्रीमती कृष्णा उईके की गांव के दबंग ने सिर्फ पिटाई ही नहीं की बल्कि निर्ममता की हद पार कर दी लगभग शरीर के हर हिस्से में क्रूरता के निशान देखे जा सकते हैं बाद उसके पुलिस का उदासीन रवैया समझ से परे है,ऐसी दर्दनाक और असहनीय अवस्था के बाद भी थाने में रिपोर्ट लिखने में चार-चार घंटे लगा देना कैसी देश भक्ति कैसी जनसेवा है पुलिस की. घटना के एक सप्ताह बाद भी आरोपी खुलेआम घूम रहा है कार्यवाही नदारद न्याय के लिए परिजन एसपी कार्यालय का भी दरवाजा खटखटा रहे हैं लेकिन आदिवासियों की सुनने वाला कोई नहीं, परिजनों ने बताया समाज और पुलिस का तो सहयोग मिला ही नहीं अस्पताल में भी ठीक से इलाज नहीं हो रहा है आखिर परिजन जाए तो जाए कहाँ ? किससे न्याय की गुहार लगाए बड़ा सवाल है. सरकार मंथन करें क्या यही आदिवासी उत्थान है
*संवाददाता शुभम सहारे छिंदवाड़ा*