कटनी – कलेक्टर श्री अवि प्रसाद ने मंगलवार को जिला चिकित्सालय पहुंचकर यहां बर्थ वेटिंग रूम में उपचाररत हाईरिस्क गर्भवती महिलाओं के ईलाज के लिए की गई व्यवस्थाओं का जायजा लिया और यहां भर्ती हाईरिस्क गर्भवती महिलाओं से चर्चा कर उन्हे यहां मिल रहे उपचार प्रबंधों को देखा। बर्थ वेटिंग रूम मे सुनहई स्लीमनाबाद और कोठी ढीमरखेड़ा की गर्भवती महिलाएं भर्ती है। इसमें से कोठी
ढीमरखेड़ा की 26 वर्षीेय गर्भवती महिला को माडरेड एनिमिया है, इन्हे आयरन इंजेक्शन दिया जा रहा है। इसी प्रकार यहां भर्ती दूसरी गर्भवती महिला उच्च रक्तचाप से पीडित है। यहां इन दौनों महिलाओं का विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में उपचार हो रहा है।
*दो एएनएम को नोटिस जारी करने के निर्देश*
कलेक्टर श्री प्रसाद को निरीक्षण के दौरान यहां पता चला कि बर्थ वेटिंग रूम में उपचाररत दौनों गर्भवती महिलाओं का सही समय पर ठीक से ए.एन.सी. जांच नहीं की गई थी। साथ ही एच.आर.पी पोर्टल में इन्हे हाईरिस्क गर्भवती के रूप में भी चिन्हित नहीं किया गया था। कलेक्टर ने इस लापरवाही के लिए गहन नाराजगी जाहिर करते हुए उपस्वास्थ्य केन्द्र सुनहई में पदस्थ ए.एन.एम सरिता सिह और ढीमरखेड़ा की ए.एन.एम सुमन लोधी को कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही बरतनें के लिए कारण बताओ नोटिस जारी करनें सी.एम.एच.ओ को निर्देशित किया।
डॉ मोहंती ने बताया कि यहां भर्ती दोनों महिलाओं को हाईरिस्क चिन्हित नहीं किये जाने की वजह से उपचार कार्य में दिक्कत हुई क्योंकि कोठी ढीमरखेड़ा की गर्भवती महिला का हीमोग्लोबिन कम है और यह माडरेड एनिमिया से प्रभावित है वहीं दूसरी प्रसूता उच्च रक्तचाप से पीडित है।
बताते चलें की बीते गुरुवार से रविवार तक कलेक्टर श्री प्रसाद बर्थ वेटिंग रूम में मिलने वाले उपचार परामर्श और इंतजामों का जायजा लेने हर दिन पहुंचे हैं। इस प्रकार अब तक यहां मंगलवार का दौरा मिलाकर बर्थ वेटिंग रूम में कलेक्टर 5 बार आ चुके हैं। कलेक्टर के मार्गदर्शन मे जिले की मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए कार्ययोजना बनाकर इस पर अमल शुरू किया गया है। इसके तहत हाईरिस्क गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव हेतु प्रसव की संभावित तिथि के 4 से 7 दिन पूर्व जिला चिकित्सालय और सिविल अस्पताल विजयराघवगढ़ में बनाये गए अत्याधुनिक चिकित्सकीय सुविधाओं से युक्त बर्थ वेटिंग रूम में भर्ती कर उपचार किया जाता है और एनेमिक गर्भवती महिलाओं को खून चढाया जाता है।
विदित हो कि संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने और उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं का सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित कर जिले में मातृ मृत्यु दर को कम करने के प्रति कलेक्टर अवि प्रसाद ने कार्ययोजना आधारित रणनीति बनाकर ठोस और गंभीर प्रयास की पहल की है।
*बढ़ाये स्वास्थ्य शिविरों की संख्या*
कलेक्टर ने स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देशित किया कि हर माह की 9 एवं 25 तारीख को विकासखंड स्तर पर आयोजित होने वाले स्वास्थ्य शिविरों की संख्या बढायें। यहां चिन्हित होने वाली हाईरिस्क गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव हेतु एएनएम की देखभाल में आशा कार्यकर्ता के साथ 108 एम्बुलेंस से जिला चिकित्सालय या सिविल अस्पताल विजयराघवगढ़ के बर्थ वेटिंग रूम में भर्ती कराये।
विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ मोहंती ने बताया कि हाईरिस्क गर्भवती महिलाओ को केवल उपचार मिलने से ही वे शत प्रतिशत जोखिम मुक्त नहीं हो जाती। बल्कि कई काम्लीकेशन आते है जिससे प्रसूता की जान तक जा सकती है। इसलिए संस्थागत प्रसव करायें उन्होंने बताया कि हाईरिस्क गर्भवती महिलाओं मे खून की कमी, प्रसव के पुराने सिजेरियन आपरेशन, गर्भवती महिला का कम हाईट का होना, पीलियाग्रस्त होना, उच्चरक्तचाप की समस्या होना मुख्य है जिसके लिए विशेषज्ञ चिकित्सक की देखरेख जरूरी है।