रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम। पंडित रामलाल शर्मा स्मृति समारोह के पांचवें दिन विराम दिवस के अवसर पर प्रवचन पीठ से अपने उद्बोधन में पूज्य मानस रत्न पंडित रामगोपाल तिवारी ने कहा कि श्री हनुमान जी ईश्वर को सदैव अपने हृदय में धारण किए रहते हैं इसी से वे मां सीता अर्थात भक्ति की खोज कर सके। वह बल और बुद्धि का सर्वोत्तम संयोजन है। जो व्यक्ति ईश्वर के नाम और भक्ति से वंचित है वह व्यक्ति जीवित होकर भी शव के समान है । पूरी लंका में केवल विभीषण ही सतत राम नाम लेते रहते हैं। पूज्य महाराज श्री ने त्रिजटा की तीन जटाओं का विवेचन करते हुए उसकी ज्ञान कर्म और भक्ति के रूप में व्याख्या की। श्री हनुमान जी लंका को दिन में भी देखते हैं और रात्रि में भी। वे तीनों ली गई परीक्षाओं में पास हो जाते हैं अर्थात न काम का विकार उन्हें विचलित करता है न क्रोध आता है न ही उनके मन में लोभ है। ऐसे श्री हनुमान जी जब अशोक वाटिका में श्री राम जी के गुणों का गा न करते हैं तब मां सीता का दुख दूर हो जाता है,
कार्यक्रम के प्रारंभ में पूज्य मानसरत्न द्वारा श्री रामलाल शर्मा जी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। महाराज जी का स्वागत डॉ वैभव शर्मा के साथ पूर्व सांसद तुलसी मानस भवन भोपाल के अध्यक्ष रघुनंदन शर्मा , सचिव कैलाश जोशी , जयंत भारद्वाज ,राहुल गौर , बंटी परिहार ने किया ।
कार्यक्रम में भजन की प्रस्तुति चित्रांश गोपाला अग्रवाल द्वारा की गई । हारमोनियम पर श्री राम परसाई एवं तबले पर श्री राम सेवक शर्मा द्वारा सहयोग किया गया आभार व्यक्तित्व डॉक्टर वैभव शर्मा द्वारा प्रस्तुत किया गया। पांच दिवसीय कार्यक्रम का समापन सामूहिक प्रार्थना अब सौंप दिया के द्वारा हुआ।