ये था मामलाः ग्वालियर में पदस्थ कर्मचारी शुभांगी ।
कटारे ने राज्य सूचना आयोग में सुनवाई के दौरान बताया
कि एक आधारहीन शिकायत पर उपपुलिस अधीक्षक लाइन ग्वालियर द्वारा मेरे विरूद्ध जांच संस्थित
की गयी। उक्त जांच में मेरे कथन
आरटीआई की ताकतः बिना ठोस आधार के आला
अफसर नहीं कर पाएंगे पुलिसकर्मियों को दंडित
को रिकॉर्ड पर नहीं लिया गया और एकतरफा कार्यवाही जानबूझकर दबाई जांच की जानकारी
करते हुए मेरे विरूद्ध द्वेषभाव पूर्ण तरीके से अनुशासनिक
कार्रवाई की गई। उक्त जांच में कोई साक्ष्य उपलब्ध न
होने के बावजूद भी गलत तरीके से जांच रिपोर्ट में साक्ष्य
और तथ्यों का उल्लेख करते हुए एक्शन लिया गया। उनके
विरूद्ध प्रारंभिक जांच में लगाए गए आरोपों के आधार पर
ही एक अन्य शिकायत पर विभाग द्वारा विभागीय जांच
भी की गई लेकिन उस विभागीय जांच में सभी आरोप
आधारहीन पाये जाने पर विभागीय जांच को
नस्तीबद्ध किया गया। लेकिन इसी विभागीय
जांच में पूर्व में की गयी प्रारंभिक जांच
दोषपूर्ण होने की टीप भी दर्जे की
गयी थी। लेकिन इसके बावजूद
| शुभांगी के विरूद्ध की गई कार्रवाई
को समाप्त नहीं किया गया।
सभी दस्तावेज देखने के बाद पाया गया कि
शुभांगी को विलंब से आधी-अधूरी अपूर्ण
जानकारी उपलब्ध कराई गई है। शुभांगी द्वारा स्वयं के
विरूद्ध पूर्ण हो चुकी प्रारंभिक जांच संबंध
दस्तावेज आरटीआई आवेदन में मांगे गये थे। शासन
द्वारा निर्धारित प्रारंभिक जांच एवं विभागीय जांच में
आरोपी अधिकारी-कर्मचारी को जांच के बिन्दु एवं वो
सभी तथ्य जिसके आधार पर जांच संस्थित की गयी हो या उसे आरोपी
बनाया गया हो। या अन्य तथ्य जिसके आधार पर आरोप सिद्ध करते हुए
जांचकर्ता द्वारा उक्त अधिकारी कर्मचारी के विरूद्ध कार्यवाही की गयी
जानकारी से जानबूझकर कर वंचित रखा गया।
हो इस प्रकरण में आरटीआई दायर होने के बावजूद शुभांगी को
राहुल सिंह, राज्य सूचना आयुक्त,
ग्वालियर पुलिस को शुभांगी को उसके
विरुद्ध की गई कार्रवाई की पूरी फाइल
दिखाने के निर्देश जारी किए हैं।
हैं। फाइल
देखने के बाद शुभांगी द्वारा चिन्हित
दस्तावेजों की प्रतिलिपि भी उन्हें देने के
रोकने के सूचना आयुक्त राहुल सिंह
निर्देश हैं। वही जानकारी को जानबूझकर
उप पुलिस अधीक्षक लाइन ग्वालियर
ने तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी,
को जिम्मेदार मानते हुए उनके विरूद्ध
25 हजार रुपए के जुर्माने अथवा
अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिये कारण
बताओ नोटिस जारी किया है।