रिपोर्टर सीमा कैथवास
ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को समझाई लैब टू मून तक स्वदेशी वैज्ञानिक सफलता सारिका ने
प्रयोगशाला से चंद्रमा तक भारतीय वैज्ञानिक सफलताओं को बताया सारिका ने
अब जबकि स्वेदेशी गगनयान मिशन पर भेजे जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स के नामों की घोषणा की जाकर उन्हें एस्ट्रोनॉट्स विंग्स प्रदान किये जा चुके हैं इस अवसर पर स्वदेशी तकनीक के माध्यम से विकसित भारत के लक्ष्य को सामने रखकर इस वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जा रहा है। इस बारे मे थीम आधारित जानकारी देने नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने ग्रामीण क्षेत्र में विज्ञान चौपाल का आयोजन ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के बीच किया । सारिका ने बताया कि विगत दस वर्षो में भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेस, खगोलविज्ञान, सौर एवं पवन ऊर्जा,सेमीकंडक्टर, क्लाइमेट एवं स्पेस रिसर्च, क्वांटम टेक्नालॉजी और बॉयोटेक्नालॉजी जैसे क्षेत्रों में बहुत आगे बढ़ा है । चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान 3 की सफल लैांडिंग से वैज्ञानिक सफलतायें प्रयोगशाला से चंद्रमा तक पहुंच गई हैं । कोविड के समय भारत ने वैक्सीन विकास क्षमता को विश्व को बताया है । ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स और पेटैंट फाइलिंग में विश्व स्तर पर नई ऊंचाई पाई है ।
सारिका ने वैज्ञानिक प्रयासों की जानकारी देते हुये बताया कि विज्ञान के माध्यम से भारत को आत्मनिर्भर बनाने स्वेदशी तकनीक पर बल दिया जा रहा है । सारिका ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के आयोजन को सिर्फ नगरीय स्कूल , कॉलेज ,विज्ञानकेंद्र तक सीमित न रखकर आमलोगों, महिलाओं, ग्रामीण आदिवासी क्षेत्रों तक पहुंचाने की आवश्क्ता बताई ।
– सारिका घारू @GharuSarika
क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय विज्ञान दिवस
सारिका ने बताया कि रमन प्रभाव की खोज के उपलक्ष्य में हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। भारत सरकार ने 1986 में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में घोषित किया था। इस दिन सर सीवी रमन ने ‘रमन प्रभाव’ की खोज की घोषणा की थी जिसके लिए उन्हें 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इस अवसर पर थीम-आधारित विज्ञान गतिविधियाँ पूरे देश में चलायी जाती हैं।
– सारिका घारू @GharuSarika