रिपोर्टर सीमा कैथवास
– माता-पिता व गुरु की सुनो तो उनकी मानो भी, आपके कर्म श्रेष्ठ होंगे : डॉ. अभिषेक कृष्ण शास्त्री*
नर्मदापुरम। चौथे दिन कथावाचक डॉ. अभिषेक कृष्ण शास्त्री जी ने कहा की श्रीराम कथा के रसपान से खत्म होती है समस्याएं। श्री राम कथा सिर्फ भक्तों के जीवन के तरण तारण का माध्यम नहीं बल्कि युवाओं में उत्साह और बालकों में संस्कार का माध्यम है। भक्तों को श्रीराम कथा चरित्र मानस का और कथा क्यों सुनाई चाहिए। इसके पश्चात उन्होंने कहा की राक्षस संस्कृति के अनुयायियों का अत्याचार अपने चरम पर पहुँच गया। तब भगवान श्रीराम ने राजा दशरथ की पटरानी माता कौशिल्या के पुत्र के रूप में राजा के चौथेपन में अवतरित हुए। चौपाई सुनाते हुए कहा “जब-जब होहि धर्म कै हानी ,बाढहिं असुर अधम अभिमानी। तब-तब धरि प्रभु विविध शरीरा ,हरहिं सकल सज्जन भव पीरा। कथा वाचक ने कहा कि भगवान खोजे नहीं जाते। बल्कि अंतर्मन से पुकारे जाते हैं। तभी ईश्वर के दर्शन होते हैं। कहा कि कथा सभी के जीवन की व्यथा को दूर करने का साधन है। जिसके श्रवण मात्र से इस भवसागर से मनुष्य का कल्याण होता है। संगीतमयी श्रीराम कथा बाईराम आश्रम (उत्तर तट ) बांद्राभान में आयोजित की जा रही है। जिसमें बड़ी संख्या में माताएं बहने बुजुर्ग युवा बड़ी संख्या में कथा श्री राम कथा सुनने पहुंच रहे हैं। इस अवसर पर राजेंद्र सिंह पूर्व विधायक बुधनी, पूर्व अध्यक्ष मध्य प्रदेश वेयरहाउस, विजयपाल सिंह विधायक सोहागपुर, महेश उपाध्याय अध्यक्ष सलकनपुर देवी मंदिर ट्रस्ट, अशोक सिंह, शिवनारायण मालवीय, मनोहर सिंह राजपूत, अजयपाल सिंह ( बल्लू भैया ) सहित अन्य मौजूद रहे।