उमरियापान:- बैमौसम हुई इस बारिश ने एक तरफ जहां आम जनजीवन को बुरी तरह से प्रभावित किया तो दूसरी तरफ किसानों की मेहनत पर पूरी तरह से पानी फेर दिया है।जिसके परिणाम अब बारिश रूकने के बाद देखने को मिले हैं।बैमौसम बारिश ने खेतों में लगी धान समेत खरीफ सीजन की अन्य फसलें खेत में ही पानी में भीग गई हैं। नतीजतन, धान में नमी की मात्रा बढ़ गई है। इस बैमौसम बारिश की वजह से किसानों को फसल काटने के लिए भी इंतजार करना पड़ रहा है। इस वजह से फसल कटाई के चक्र में बदलाव आया है।जो किसानों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन गया है।
उमरियापान के मुड़िया पुरवा क्षेत्र में करीब 50 एकड़ में अभी भी खेतों में धान की फसलें खड़ी है। पहले ही खेतों में नमी होने से धान की फसल नहीं कट पाई। कटाई के लिए किसान पानी सूखने के इंतजार करते रहे,लेकिन बैमौसम हुई बारिश से धान की फसल पर सबसे अधिक असर पड़ा है।खेतों में खड़ी धान की फसल में नमी की मात्रा और अधिक बढ़ गई है।खेतों में भी पानी भर गया है। किसान ऐसे में कटाई नहीं कर पा रहे हैं। किसानों को अब तैयार हो चुकी फसल को खेत में ही सूखने के लिए छोड़ना पड़ेगा।जिन किसानों ने फसल कटाई की पूरी तैयारी कर ली थी,उन्हें कई दिनों तक इंतजार करना पड़ेगा। मसलन, किसानों का फसल कटाई का पूरा चक्र बदल गया है।किसानों ने बताया कि मुड़िया पुरवा से धौरेशर हार तक (करीब 50 एकड़ की जमीन) खेतों में नमी होने की वजह से खेतों में हार्वेस्टर नहीं पहुँच पाए। धान की फसल खेतों में ही खड़ी थी।किसान नमी कम होने का इंतजार करते रहे लेकिन बारिश ने किसानों की आफत बढ़ा दी है। यहाँ अभी भी खेतों में धान की फसल खड़ी है।जबकि अन्य क्षेत्रों में रबी सीजन की फसलें बो गई है। किसानों ने बताया कि बेमौसम बारिश से मुख्य नुकसान रबी सीजन को होने का अनुमान है। इस वजह से रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं की बुवाई टलने की तरफ बढ़ रही है। बारिश होने से कुछ फसलें जमीन पर पसर गई है। जबकि कई खेतों में पानी भर गया है। कटाई के लिए किसान मजदूरों की खोज करने में जुटे हैं । किसानों का कहना है कि अब वे मजदूरों से कटाई कराकर फसल को सूखने के लिए रखेंगे। कटाई के बाद किसानों की पहली प्राथमिकता है कि वो खेतों में जुताई कराकर रबी सीजन में बोई जाने वाली फसलों की बुबाई कराएं। हालांकि जिन की बुबाई हो चुकी थी उन किसानों के लिए बारिश फायदेमंद थी। फिर भी कुछ किसानों का बीज खेतों में ही खराब हो गया है। उन किसानों को ज्यादा तकलीफ है जिनकी धान की फसलें अब भी खेतों में खड़ी हैं।
रिपोर्टर राजेंद्र चौरसिया ढीमरखेड़ा कटनी