रिपोर्टर राजेंद्र चौरसिया ढीमरखेड़ा कटनी
:- उमरियापान के कटरा बाजार में चल रही रामलीला में मंडल के कलाकारों ने बीती रात को सीताहरण, भगवान श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता के साथ बाली वध की लीलाओं का मंचन किया। रामलीला में रावण बहन के अपमान का बदला लेने मारीच को सोने का हिरण बनकर पंचवटी के समीप पहुँचा।सीता की जिद पर भगवान राम ने हिरण का पीछा किया।राम का बाण लगते ही हिरण हाय सीते, हाय लक्ष्मण कहकर चीख पड़ा,तब सीता ने लक्ष्मण को सहायता के लिए भेजा। लक्ष्मण जाते हुए कुटी को लक्ष्मण रेखा से बांध देते हैं। साधु के वेश में रावण पहुँचा और सीता का हरण कर ले गया।सीता को पंचवटी में न देख राम-लक्ष्मण परेशान हो गए। प्रभु राम सीता के वियोग में रो पड़े।भगवान के आंखों में आंसू देख दर्शक भाव विभोर हो गए। दोनों भाई सीता की तलाश में जंगल की ओर निकल पड़े। खोजबीन के दौरान मार्ग पर उन्हें घायल जटायु मिला।जिसने बताया कि एक राक्षस सीता माता को लेकर दक्षिण दिशा की ओर गया है और वह अपने प्राण त्याग दिया। श्रीराम और लक्ष्मण दोनों भाई दक्षिण की ओर बढ़े तो उनकी भेंट माता सबरी से हुई।सबरी उनको विशमुख पर्वत जाने की बात कहती हैं। भगवान विशमुख पर्वत की ओर बढ़ते हैं जहां हनुमान जी उनसे वेश बदलकर मिलते हैं।परिचय जानने के बाद अपने रूप में लौटे और सुग्रीव के पास ले आये। जहा भगवान की मित्रता हुई।श्रीराम के पूछने पर सुग्रीव उन्हें पहाड़ों पर छिपकर रहने का भेद बताते हैं। यह सुनकर श्रीराम सुग्रीव को बाली से युद्ध करने को भेजते हैं। बाद में श्रीराम बाली का वध कर देते हैं।
यहां लंका दहन की दिखाई लीला:- वहीं उमरियापान के झंडा चौक पर प्रोजेक्टर में माध्यम से चल रही रामायण में भी लंका दहन सहित अन्य लीलाओं को दिखाया गया। सीताहरण के बाद माता सीता की खोज के लिए चारों दिशाओं मे सेनानायकों के साथ अलग अलग दल निकलता। दक्षिण दिशा में जाने वाले दल में जामवंत, हनुमान जी को उनका बल याद दिलाते हैं जिसके बाद हनुमान लंका में अशोक वाटिका पहुंचकर माता सीता की खोज कर लेते हैं और अशोक वाटिका पहुंचकर माता सीता को श्रीराम का संदेश सुनाते हैं।लंका दहन करने के बाद हनुमान वापस लौटकर भगवान राम को माता सीता का पता बताया। माता सीता का रहन सहन और लंका की सम्पूर्ण जानकारी दी।यहाँ से युद्ध करने के लिए भगवान निकल पडते हैं।