शाजापुर-दोपड़ा नलखेड़ा मार्ग पर चाचाखेड़ी गांव में स्थित टोल प्लाजा का संपूर्ण प्रबंधन और संचालन ज्योति महिला स्व-सहायता समूह करेगा। श्रीमती राजू बाई इसकी अध्यक्ष हैं। वराहमिहिर आजीविका संकुल स्तरीय संगठन कायथा, उज्जैन, कायथा टोल प्लाजा का प्रबंधन करेगा। श्रीमती कौशर परवीन इसकी अध्यक्ष हैं। प्रगति सामुदायिक महिला आजीविका संगठन छतरपुर में संजयनगर टोल का प्रबंधन सम्हालेगा।
यह ऐतिहासिक पहल मप्र कैबिनेट के निर्णय के कारण संभव हो सकी है जिसके अनुसार 2 करोड़ रुपए तक कलेक्शन वाले टोल प्लाजा का प्रबंधन महिला स्व सहायता समूहों को दिया जाएगा ताकि उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत किया जा सके।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में आज मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम ने महिलाओं के स्व-सहायता समूहों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए। मुख्यमंत्री ने महिलाओं के लिए यह अनूठी पहल का मार्गदर्शन किया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि टोल प्लाजा चलाना हिम्मत और दबंगई का काम समझा जाता है। प्रदेश में महिलाओं के स्व-सहायता समूह टोल प्लाजा संचालन की जिम्मेदारी ले रहे हैं यह महिला सशक्तिकरण का बड़ा उदाहरण है। मुझे पूरा विश्वास है कि बहनें अपने संकल्प में सफल होंगी औऱ दक्षतापूर्वक टोल प्लाजा का संचालन करेंगी। दुनिया देखेगी कि मध्यप्रदेश की महिलाएं, पुरुषों के वर्चस्व वाले इस कार्य में भी नई उपलब्धियां अर्जित करेंगी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने महिलाओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वे उत्साह, आत्मविश्वास व सकारात्मकता से काम करें और दुनिया को दिखाएं कि महिलाएं किसी भी गतिविधि में पीछे नहीं हैं। यह महिलाओं द्वारा किए जाने वाले कार्यों के दायरे को बढ़ाने की पहल है। टोल-प्लाजा संचालन से महिलाएं जितनी राशि संग्रहित करेंगी, उसका 30 प्रतिशत बहनों को मिलेगा। मेरी कामना है कि आप टोल प्लाजा का सफल संचालन करें और स्व-सहायता समूहों से जुड़ी हर बहन लखपति हो।
उज्जैन-मक्सी मार्ग जिला उज्जैन के कायथा टोल-प्लाजा के लिए वराहमिहिर आजीविका संकुल स्तरीय संगठन की श्रीमती कौशर परवीन व श्रीमती निर्मिला परमार, शाजापुर दोपाड़ा नलखेड़ा मार्ग जिला आगर के चाचाखेड़ी टोल प्लाजा के ज्योति महिला सामुदायिक संकुल संगठन की श्रीमती राजूबाई व श्रीमती साधना शर्मा और मलहेरा चांदला मार्ग जिला छतरपुर के संजय नगर टोल प्लाजा के लिए प्रगति सामुदायिक महिला आजीविका संगठन की श्रीमती चमेली राजपूत व श्रीमती विद्या अहिरवार के साथ एमओयू का निष्पादन किया। समूह की महिलाओं के साथ मध्यप्रदेश रोड डेवल्पमेंट कॉर्पोरेशन के प्रबंध संचालक श्री अविनाश लवानिया ने एमओयू आदान-प्रदान किया। भविष्य में अन्य मार्गों पर भी उपभोक्ता शुल्क संग्रहण का कार्य महिला स्वसहायता समूह से कराने की योजना है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान को महिला स्वसहायता समूह की सदस्यों ने राखी बांधी तथा टोल संचालन की जिम्मेदारी देने के लिए उनका आभार माना। बहनों ने कहा कि स्व सहायता समूह से जुड़कर वे सीढ़ी दर सीढ़ी इतनी प्रगति कर लेंगी, ऐसा उन्होंने नहीं सोचा था। समूह की बहनों के पास आज ट्रेक्टर, जीप आदि है। वे दिल्ली हरियाणा और देश के अन्य भागों की यात्रा कर रही हैं। साबुन बनाने, पापड़-बड़ी बनाने, सेंट्रिंग लगाने जैसे कार्यों से अब उन्हें टोल प्लाजा चलाने की जिम्मेदारी भी मिल रही है, यह सब उनकी सोच से परे था। बहनों ने कहा कि यह सब मुख्यमंत्री श्री चौहान की पहल, संवेदनशीलता और निरंतर प्रेरणा से ही संभव हुआ।
क्या है एम.ओ.यू. में ?
समझौते के अनुसार, टोल प्लाजा का प्रबंधन करने वाले महिला समूह को टोल कलेक्शन का 30% मिलेगा बाकी का हिस्सा एमपीआरडीसी को मिलेगा। कैबिनेट निर्णय के तुरंत बाद, समूह के सदस्यों को मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा प्रशिक्षण दिलाया गया। टोल प्लाजा प्रबंधक राजेश पाण्डेय ने उन्हें टोल प्लाजा प्रबंधन के तकनीकी पहलू के बारे में प्रशिक्षित किया।
एमपीआरडीसी इंटरनेट, कनोपी, इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करायेगा। एमपीआरडीसी के विभागीय प्रबंधक समूह की महिला सदस्यों का मार्गदर्शन करेंगे और उन्हें समय समय पर सहयोग करेंगे। महिला समूह केवल अपने सदस्यों के माध्यम से टोल कलेक्शन करेगा। इस कार्य को किसी अन्य एजेंसी को नहीं सौंप सकेगा। यदि टोल कलेक्शन 2 करोड़ रुपए से अधिक होता है तो यह कार्य एमपीआरडीसी करेगा। महिला सदस्यों का जीवन बीमा किया जायेगा।
टोल कलेक्शन राशि को हर दिन संयुक्त बैंक खाते में जमा किया जाएगा। टोल कलेक्शन राशि से पहले इंटरनेट, बिजली, पानी जैसी टोल प्लाजा की अन्य प्रशासनिक व्यवस्थाओं में खर्च किया जाएगा। प्रारंभ में सफाई, रिकॉर्ड रखने, बैक संबंधी कार्य समूह द्वारा किए जाएंगे।
महिला सशक्तिकरण के मध्यप्रदेश मॉडल की धुरी हैं स्व-सहायता समूह
प्रदेश में 4 लाख 78 हजार से अधिक स्व-सहायता समूहों के माध्यम से 57 लाख से अधिक महिलाएं समूहों से जुड़ीं हैं। अब तक 5.26 लाख स्व-सहायता समूहों को 6,358 करोड़ रुपए से अधिक का क्रेडिट लिंकेज किया गया है।
आजीविका मार्ट पोर्टल से समूहों द्वारा बनाए 700 करोड़ रुपए से अधिक के उत्पाद बिके हैं। पोषण आहार संयंत्रों का संचालन, समर्थन मूल्य पर फसल खरीदी, यूनिफॉर्म निर्माण, जल कर वसूली, फ्लाई ऐश ईंट निर्माण, कोदो-कुटकी के बिस्किट निर्माण, बिजली बिल वसूली, दीदी कैफे, मास्क-सैनिटाइजर निर्माण जैसे हर काम -सहायता समूहों की महिलाएं कर रही हैं।
इन समूहों द्वारा संचालित 7 पोषण आहार संयंत्रों का वार्षिक टर्नओवर 750 करोड़ रुपए हो गया है। समूह सदस्यों द्वारा 2।9 आजीविका एक्सप्रेस सवारी वाहनों का संचालन किया जा रहा है। जल जीवन मिशन में वे जल कर वसूल करने और बिजली बिल भरवाने में भी मदद कर रही हैं।
लगभग 8300 महिलाओं को कम लागत कृषि एवं जैविक खेती पद्धति के लिये प्रशिक्षित किया गया है। इन्होंने मास्टर कृषि सी.आर.पी. के रूप में अपने गांव, जिला, प्रदेश के साथ ही अन्य राज्यों जैसे-हरियाणा, उत्तरप्रदेश व पंजाब में भी सेवायें देकर अपनी अलग पहचान बनाई।
बैंकिंग सेवाओं को और आसान बनाने की दृष्टि से समूह सदस्यों को बैंक सखियों के रूप में चिन्हित कर तैनात किया गया है। फिलहाल 3,922 सखी काम कर रही
स्व-सहायता समूहों से जुड़ी हर बहन लखपति हो – मुख्यमंत्री श्री चौहान