उमरियापान:- बारिश के इस मौसम में ढीमरखेड़ा में ऐसे कई गांव है जहां पहुंचना यदि नामुमकिन नहीं तो आसान भी नहीं है। खंदवारा ग्राम पंचायत के सारंगपुर से झकाझोर-संगमा मार्ग जाने के लिए रास्ता खराब है।इन गाँवों तक पहुंचने के लिए कीचड़ भरे रास्तों से पैदल पहाड़ी नालों को पार करना पड़ता है। गांव में यदि कोई बीमार हो जाता है तो ग्रामीण कई किलोमीटर पैदल कंधे में रखकर सड़क मार्ग तक लाते हैं। गर्भवती महिलाओं को बारिश के इन चार महीनों के दौरान विकट परिस्थितियों से जूझना पड़ता है। गांव के शीतल शुक्ला,महिपाल सिंह,पुनीत कुमार,राहुल शुक्ला,चमन कुमार,श्रीपाल सिंह, राधे सिंह,मंगीलाल लुहार सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि झकाझोर,रिछाईघाट- संगमा से सारंगपुर तक करीब 3-4 किलोमीटर का मार्ग मुसीबत भरा है।सारंगपुर तक पहुचने के बाद ग्रामीणों का आवागमन सुगम हो जाता है।बारिश के चार महीने लोग साइकिल और मोटरसाइकिल सहित अन्य वाहन सारंगपुर में ही रखते हैं। गांव तक लोग कठिन डगर से सफर करते हैं।ग्रामीणों ने बताया कि इन गांवों तक पहुँचने के लिए एकमात्र कच्चा रास्ता है। बारिश में यह रास्ता अलग अलग भागों में कट जाता है। रास्ते में तीन पुलिया भी पड़ती है। ग्रामीण पुलिया में घुसकर सड़क पार करते हैं। लोंगों ने बताया कि साल 2007-08 में आजादी के बाद पहली बार आरईएस विभाग के द्वारा सड़क बनवाई गई थी। सड़क पर उसी समय से आज भी तीन पुलिया पड़ी है। उसके बाद आज तक विभाग के द्वारा सड़क निर्माण के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है। ग्रामीण पुल- पुलिया और खेतों की मेढ़ से आवागमन करते हैं। सबसे ज्यादा समस्या ग्रामीणों को बारिश के चार महीनों में होती हैं।ग्रामीणों ने यहाँ सड़क निर्माण की अनेकों बार मांग किया,लेकिन नेता, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने सुध ही नहीं लिया है।
स्कूली बच्चे भी होते है परेशान:- जंगली क्षेत्र से सटे झकाझोर और रिछाईघाट- संगमा में सरकारी स्कूलों का संचालन भी होता है। जहां बच्चों के आने-जाने का रास्ता खतरनाक है। ग्रामीणों ने बताया कि झकाझोर गांव में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल जबकि संगमा गांव में प्राथमिक स्कूल हैं। रास्ता ठीक नहीं होने के कारण विद्यार्थियों और शिक्षकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पुल पुलिया तो कहीं खेतों की मेड़ से होकर स्कूलों तक विद्यार्थी पढ़ने के लिए पहुंचते हैं।बारिश के दिनों में विद्यार्थियों के चोटिल होने का खतरा बना रहता है।इस संबंध में आरईएस एसडीओ मेघा मौर्य का कहना है कि उन्हें उक्त सड़क के बारे में ज्यादा जानकारी नही है। पूर्व भब यदि सड़क पर काम हुआ है तो दुबारा उसे स्वीकृत करानी पड़ेगी। पूरी जानकारी प्राप्त कर ही आगे कुछ कह सकेगी।
क्या कहते हैं ग्रामीण:-
यह सड़क खराब है। बारिश में गांव तक पहुचना मुश्किल होता है। ग्रामीणों ने अनेकों बार सड़क निर्माण की मांग की।विभागीय अधिकारियों को पत्राचार भी किया गया। लेकिन सड़क न बनने से ग्रामीणों को परेशानी होती है।बारिश में कोई भी वाहन गांव तक नही पहुँचता हैं।:- शीतल शुक्ला,स्थानीय नागरिक
सड़क खराब होने से बारिश में स्कूल तक बच्चे नही पहुँच पाते हैं। बीमार व्यक्ति और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल तक ले जाना बड़ा मुश्किल होता है। लोग पुल- पुलिया और मेढ़ से चलकर गांव तक आते हैं। सड़क निर्माण हो जाएगा तो ग्रामीणों को आवागमन में सुविधा होगी।:- महिपाल सिंह,स्थानीय नागरिक
रिपोर्टर राजेंद्र कुमार चौरसिया ढीमरखेड़ा कटनी