रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम। नर्मदापुरम के एनईएस महाविद्यालय में शहर के प्रतिष्ठित नवगीतकार स्व. विनोद निगम की स्मृति में गत दिवस श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। नर्मदा शिक्षा समिति एवं डा. विनोद निगम मित्र मंडल द्वारा इस सभा में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं विधायक डा. सीतासरन शर्मा ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि
डॉ विनोद निगम एक शिक्षक के साथ-साथ संवेदनशील और जिम्मेदार ऐसे नागरिक थे जिनके व्यक्तित्व में राष्ट्रीयता, समर्पण के भाव समाये हुए थे। उनका व्यक्तित्व सांस्कृतिक चेतना से सराबोर था ,उन्होंने नर्मदांचल के साहित्य क्षेत्र को एक गरिमा प्रदान की। पूर्व विधायक पं. गिरजा शंकर शर्मा ने कहा कि उनका एक लंबा साथ डॉ विनोद निगम के साथ रहा है। डॉ निगम को रिश्तो को गरिमा के साथ निभाना आता था। उनका जाना एक साहित्यिक क्षति तो है ही नर्मदा अंचल के साथ ही साथ सामाजिक क्षति और व्यक्तिगत क्षति भी है। पूर्व विधायक गिरिजाशंकर शर्मा ने कहा कि नर्मदांचल में सदी के गीतकार डॉ विनोद निगम इस स्थूल भौतिक जगत से अपने अनंत यात्रा पर चले गए, पर वो हमारे आसपास शब्दों के रूप में हमारी यादों में सदैव रहेंगे। बाराबंकी में जन्मे डॉ विनोद निगम नर्मदा की लहरों के साथ रेत पर जलधार पर अपना नाम बड़े प्यार से लिखते रहे, और उनकी साहित्यिक यात्रा बढ़ती रही। उनके गीतों से गुजरना एक खूबसूरत यात्रा जैसा है। शब्दों की दुनिया में धूप की आवृत्ति है तो चांदनी की शीतलता मधुर मिठास के साथ लिए हुए हैं। पं. भवानी शंकर शर्मा के साथ उनका अटूट रिश्ता रहा है। उन्होंने कहा कि डॉ विनोद निगम को उन्होंने कभी मंदिर जाते नहीं देखा, किसी के यहां कथा सुनते नहीं देखा, पर वे जिंदगी को जीना जानते थे। वे छोटे-छोटे पलों को, छोटी-छोटी खुशियों को उत्सव में बदल डालते थे। उत्सव धर्मी, उत्सव प्रेमी संवेदनशील डॉ निगम के जीने का भी अपना एक स्टाइल था। चटक रंगों से उन्हें प्यार था। उनकी कपड़ों की गरिमा देखते ही बनती थी। हर मौसम के बेहद खूबसूरत ड्रेसेस लखनऊ की चिकनकारी से सजे होते थे। उनके शाल ओढऩे का भी एक खूबसूरत अंदाज था। डॉ केजी मिश्र ने कहा कि डॉ निगम एक ऐसे व्यक्ति थे जिनका किसी से किसी भी प्रकार का कोई मतभेद नहीं था। वे निष्काम योगी की तरह जिये और अपनी अंतिम यात्रा पर भी मुस्कुराते हुए चले गये। इसके पूर्व ब्रह्मलीन डॉ विनोद निगम को भजनांजली के साथ मार्मिक श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर हारमोनियम पर संगीत कला साधक राम परसाईं, तबले पर सक्षम पाठक और स्वर दिया कु. रितु कुलश्रेष्ठ ने विनोद निगम के गीतों को स्वयं कंपोज करके स्वरों के साधक डॉ नमन तिवारी ने श्रद्धांजलि दी। कंपोजीशन में साथ दिया शहर के ही कला साधक कमल झा ने उनका ही एक गीत ” कंचन भोर, कनेरी दोपहर ” जिसको कंपोज किया था स्वर्गीय श्रीमती जय श्री तरटे ने और स्वरों में बांधा कला मर्मज्ञ वनस्थली स्कूल की डायरेक्टर डा अंजली मिश्रा ने।