कटनी शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है और कोई भी बच्चा इस अधिकार से वंचित न रहे, यही है प्रदेश शासन का प्रयास। इसी प्रयास को साकार करने में जुटे हुए हैं कलेक्टर कटनी अवि प्रसाद। जो न सिर्फ प्रशासनिक स्तर पर बल्कि अपने निजी प्रयासों के जरिए भी हर बच्चे को उनके शिक्षा का अधिकार दिलाने की पुरजोर कोशिश में लगे हुए हैं, और ये प्रयास रंग भी ला रहे हैं। शाला अप्रवेशी और शाला त्याग चुके बच्चों का स्कूल में दाखिला कराने के साथ साथ उनकी विशेष कोशिश यह है कि दिव्यांगता किसी भी बच्चे की शिक्षा की राह में रोड़ा न बने। इसके लिए ऐसे बच्चों का स्कूल में दाखिला कराने के साथ साथ उनके पठन पाठन की व्यवस्था शासन के नियमानुसार घर में कराए जाने के प्रबंध किए गए हैं।
1 लाख 30 हजार बच्चों के प्रवेश का लक्ष्य
15 अप्रैल से प्रारंभ शाला प्रवेशोत्सव के तहत कटनी जिले में 1 लाख 30 हजार 617 बच्चों के शाला प्रवेश का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिसके तहत कलेक्टर अवि प्रसाद के मार्गदर्शन और निर्देशन में जिला शिक्षा केंद्र द्वारा अब तक करीब 70 हजार बच्चों को शाला में प्रवेश दिलाया जा चुका है।
स्वयं स्कूल पहुंच कर बच्चों को प्रवेश दिला रहे कलेक्टर
कलेक्टर श्री प्रसाद निरंतर प्रवेशोत्सव कार्यक्रम की मॉनिटरिंग कर रहे हैं और कई स्कूलों में कलेक्टर श्री प्रसाद स्वयं पहुंच कर बच्चों को प्रवेश दिला रहे हैं। इसी क्रम में विगत दिवस कलेक्टर श्री प्रसाद जहां शासकीय एनकेजे विद्यालय के प्रवेशोत्सव कार्यक्रम में शामिल हुए थे और उन्होंने बच्चों को स्कूल बैग प्रदान किए थे तो वहीं बुधवार को वे शाला प्रवेश उत्सव के तहत रीठी विकासखंड के ग्राम बडखेरा स्थित शासकीय विद्यालय में पहुंचे। जहां उन्होंने दिव्यांग दिनेश का शाला प्रवेश कराते हुए स्कूल को विद्यार्थियों के लिए 56 ड्यूल डेस्क, एक वाटर कूलर और 1 एलईडी टीवी भेंट की।
इन बच्चों के जीवन में कलेक्टर ने भरे उम्मीद के रंग
शासन स्तर पर चलाए जा रहे कार्यक्रमों के साथ साथ शाला अप्रवेशी और शाला त्यागी बच्चों विशेषकर दिव्यांग बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिलाकर कलेक्टर अवि प्रसाद ने उनके जीवन में उम्मीदों का रंग भरा है। कलेक्टर श्री प्रसाद की विशेष कोशिशों से माधवनगर निवासी अनीश मेहानी 10 वर्ष, अमीरगंज निवासी शिवानी वंशकार 8 वर्ष, दिनेश वंशकार 6 वर्ष निवासी ग्राम बडखेरा और एकता रजक 6 वर्ष कैलवारा फाटक के शिक्षा की राह में अब दिव्यांगता रोड़ा नही बन सकेगी। वहीं कलेक्टर श्री प्रसाद की संवेदनशील नजरों और प्रयास का नतीजा ही है कि ढीमरखेड़ा निवासी 6 वर्षीय चाहत, कमला और चांदनी के हाथों में आज कचरे के थैले की जगह स्कूल का बैग और किताबें है। नन्हवारा सेझा निवासी अंकित, नयागांव निवासी कृष्णा, खिरवा निवासी रिंकी आदिवासी और उसके भाई विकास का शाला में प्रवेश भी कलेक्टर श्री प्रसाद के विशेष प्रयास से संभव हो सका।
हर बच्चे की अपनी कहानी..
अंकित, नन्हवारा सेझा
बड़वारा विकासखंड अंतर्गत नन्हवारा सेझा निवासी 6 वर्षीय अंकित वह खुशकिस्मत बालक है जिस पर 21 दिसंबर 2022 को भ्रमण कार्यक्रम दौरान कलेक्टर कटनी अवि प्रसाद की सबसे पहले नजर पड़ी और उन्होंने उसे गोद लेकर उससे स्कूल जाने की जानकारी ली। जैसे ही पता चला कि उसका स्कूल में दाखिला ही नहीं हुआ वैसे ही मौके पर ही कलेक्टर श्री प्रसाद ने उसका एडमिशन स्कूल में कराने के निर्देश दिए और आज वह गांव में घूमने की बजाय स्कूल में किताबों के साथ अपना समय बिता रहा है।
अनीश मेहानी, माधवनगर
अनीश मेहानी 10 वर्ष पूर्ण करने के बाद भी अपनी दिव्यांगता की वजह से शिक्षा के अधिकार से वंचित था। 4 जनवरी को शासकीय शाला केरन लाइन में निरीक्षण के दौरान अनीश के पिता से इस संबंध में जैसे ही कलेक्टर श्री प्रसाद को जानकारी लगी उन्होंने तत्काल उसको स्कूल में प्रवेश दिलाया और उसे शिक्षण सामग्री और डेस्क और कुर्सी उपहार स्वरूप प्रदान की।
चाहत, कमला और चांदनी (सभी 6 वर्ष)
कचरा बीनने वाली 6 वर्षीय चाहत की स्कूल जाने की चाहत की जानकारी जैसे ही कलेक्टर श्री प्रसाद तक पहुंची, उन्होंने बिना समय गंवाए उसका 24 घंटे के अंदर स्कूल में दाखिला कराया और क्षेत्र के ऐसे बच्चों की जानकारी जुटाई। जानकारी लगते ही चाहत की हम उम्र कमला और चांदनी के हाथों से भी चाहत की तरह कचरे का थैला दूर कर स्कूल बैग थमाए गए, वो भी महज 24 घंटे के भीतर।
शिवानी वंशकार 8 वर्ष अमीरगंज
विगत माह जनवरी में कलेक्टर श्री प्रसाद राबर्ट लाइन स्कूल माधवनगर के निरीक्षण में पहुंचे, जहां उन्हें 90 फीसदी विकलांगता की वजह से शिवानी के स्कूल में आने की असमर्थता की जानकारी लगी। जानकारी लगते ही कलेक्टर श्री प्रसाद वहां से सीधे शिवानी के घर अमीरगंज बस्ती पहुंचे और उन्होंने शासन के नियमानुसार शिवानी के गृह आधारित शिक्षा का प्रबंध कर उसे उसके शिक्षा का अधिकार दिलाया। साथ ही उसे उपहार स्वरूप शिक्षण सामग्री और टेबल कुर्सी भेंट की।
रिंकी 6 वर्ष और विकास आदिवासी 9 वर्ष
ओला और वृष्टि की वजह से फसलों को हुए नुकसान का मुआयना करने मार्च माह में ग्राम खिरवा एनकेजे पहुंचे कलेक्टर श्री प्रसाद को वहां दो बच्चे रिंकी आदिवासी 6 वर्ष और उसका भाई विकास 9 वर्ष मिले, जिनसे उन्होंने शाला जाने की जानकारी ली। विकास द्वारा कोविड 19 के बाद से स्कूल त्यागने और रिंकी के स्कूल न जाने की जानकारी मिलने पर कलेक्टर श्री प्रसाद द्वारा उनका शाला प्रवेश उत्सव दौरान स्कूल में प्रवेश कराया गया।
एकता रजक 6 वर्ष कैलवारा फाटक
कैलवारा फाटक निवासी 90 फीसदी दिव्यांग एकता के पिता द्वारा उसका आधार अपडेशन में बायो मैट्रिक न होने के संबंध में शिकायत कलेक्टर श्री प्रसाद से की गई थी। कलेक्टर के निर्देश पर एकता का आधार अपडेशन कराने के साथ साथ उसके दिव्यांग पेंशन और शिक्षा संबंधी जानकारी ली गई। दिव्यांगता की वजह से शिक्षा पाने से वंचित होने की जानकारी लगते ही कलेक्टर श्री प्रसाद द्वारा एकता के गृह आधारित शिक्षा की व्यवस्था की गई और दिव्यांगता पेंशन भी शुरू करा दी गई।
दिनेश वंशकार 6 वर्ष बडखेरा
हनुमान जयंती पर बिलहरी, बडखेरा और रीठी क्षेत्र के भ्रमण दौरान ग्राम बडखेरा निवासी दिव्यांग दिनेश वंशकार 6 वर्ष अपने दादा के साथ स्कूल के पास खड़ा हुआ दिखाई दिया। पूछने पर स्कूल न जाने की जानकारी मिलते ही कलेक्टर श्री प्रसाद द्वारा उसका शाला प्रवेश उत्सव के तहत स्कूल में दाखिला कराया गया। साथ ही उसका दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनवाकर दिव्यांग पेंशन शुरू कराई गई।
कृष्णा 6 वर्ष नयागांव
जमीन संबंधी विवाद की एक शिकायत पर अपने मामा के साथ कलेक्टर कार्यालय आए 6 वर्षीय कृष्णा से कलेक्टर श्री प्रसाद ने जब उसके स्कूल जाने की जानकारी ली तो उसके स्कूल न जाने की जानकारी लगते ही कलेक्टर श्री प्रसाद द्वारा उसका भी तत्काल स्कूल में दाखिला कराया गया।
कोशिशों का दिख रहा असर
कलेक्टर कटनी अवि प्रसाद द्वारा बच्चों को उनके शिक्षा का अधिकार दिलाने किए जा रहे प्रयास का ही असर है कि कटनी जिले में शाला अप्रवेशी बच्चों की संख्या महज 0.7 प्रतिशत है। यह सुखद आंकड़ा प्रदेश शासन द्वारा असर संस्था के माध्यम से कराए गए सर्वे में सामने आया है। उल्लेखनीय है कि कटनी जिले में प्रदेश के अन्य जिलों के मुकाबले शाला अप्रवेशी बच्चों की संख्या काफी कम है।