रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम। सनातन धर्म में अक्षय तृतीया का बहुत बड़ा महत्व है। कहा जाता है इस दिन किया गया कोई भी काम कभी क्षय नहीं होता। ठाकुर जी के नाम जाप से लेकर दान-धर्म तक कुछ भी, कभी भी व्यर्थ नहीं जाता। वे अक्षय होकर वापिस लौटता है। इस वर्ष 22 अप्रैल वैशाख शुक्ल पक्ष की अक्षय तीज है। वैसे तो ये पर्व बहुत से धार्मिक स्थानों पर बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है l इसी तरह श्रीबांके बिहारी जी मंदिर में विशेष आनंद के साथ मनाया जाता है, अग्रवाल समाज मंदिर प्रभारी नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि मां नर्मदा की पावन नगरी नर्मदापुरम स्थित ठाकुरजी श्री बांके बिहारी लाल जी मंदिर में प्रभु के विशेष दर्शन होते हैं। सिर्फ आज के दिन पूरे सालभर में मात्र अक्षय तृतीया पर ही श्री बांके बिहारी जी के श्रीचरणों के विशेष दर्शन का सौभाग्य श्रद्धालुओं को प्राप्त होता हैं। वैशाख की ग्रीष्म ऋतु में ठाकुर जी को शीतलता प्रदान करने के लिए ही उनके चरणों में चंदन का लेप लगाया जाता है। भोज्य पदार्थ भी उन्हें शीतलता प्रदान करने वाले निवेदित किए जाते हैं जैसे ठंडे शर्बत,सत्तू आदि। माना जाता है कि बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन करने वाले को धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती है। ठाकुर जी के चरणों में साक्षात मां लक्ष्मी का कलश है जो उन भक्तों के आगे खुल जाता है जो दीनदयाल ठाकुर जी की कृपा की आस में उनके पास बिना मन में कपट लिए दौड़े चले आते हैं। इसी मध्य पूरा मंदिर प्रांगण राधे- राधे, माता महालक्ष्मी की जय,श्री बांके बिहारी की जय से गुंजायमान रहा।