गंजबसौदा मुकेश चतुर्वेदी
गंजबासौदा जंगलिया आश्रम पर चल रही रामकथा में भरत चरित्र का अध्यात्म चित्रण करते हुए पंडित केशव गुरु जी ने कहा प्रभु का नाम रूप के अधीन है जिस नाम का जाप करोगे उसी स्वरूप में भगवान प्रकट होते हैं जहां प्रेम से भगवान का नाम जाप होता है वहां भगवान स्वता ही बंध जाते हैं भगवान प्रकट होते हैं भरत जी ने सीताराम नाम मैं प्रीति की तो अयोध्या के नंदीग्राम में उनको राम दर्शन होने लगा जिस प्रकार भागवत में प्रत्येक गोपी के पास भगवान हैं ऐसा अनुभव कराया उसी तरह भरत जी को अनुभव हुआ भगवान चित्रकूट में नदी अयोध्या में मेरे साथ हैं संयोग में भगवन सेवा कैसे हो यह लक्ष्मण जी ने बताया है योग में भगवत सेवा कैसे हो यह भरत जी ने बताया है आपने दृष्टांत देते हुए कहा भरत जी के चरित्र अनुकरणीय हैं मनुष्य को प्रीति से रीति से पवित्र जीवन बिताना है यह आदर्श भरत जी ने बताया कुछ समय पश्चात राम जी चित्रकूट का त्याग कर अत्रि ऋषि के आश्रम पर गए हैं जीव योग्य बने तब प्रभु बगैर बुलाए आते हैं जहां तीनों गुण से परे बुद्धि बने तब अत्री शब्द लोग लोग भक्ति तो करते हैं पर पर समझते हैं मैं दूसरों से श्रेष्ठ हूं क्या भक्ति भी किसी को छोटा दिखाने है धर्म व भक्ति का लक्ष्य तो सब में भगवान देखना है भगवान को राजी करने का एकमात्र साधन धन्य दीनता है किसी को छोटा मानेंगे तो हृदय पवित्र नहीं होगा अतः दीनता समर्पण भक्ति का प्रकार है कथा में कथा में डाहला बसरिया बरखेड़ा देहरी गजनई करौदा मडिया पवई सहित सहित अनेक ग्रामों से ट्रैक्टर ट्राली द्वारा बहुत-बहुत संख्या में जन समुदाय कथा श्रवण करने उपस्थित हुए इस अवसर पर 9 लक्की मंदिर के श्री महंत राम मनोहर दास जी एवं राजा महाराज हथोड़ा एवं मल्लिकार्जुन जी एवं नगर के गणमान्य नागरिक संतोष भैया जी गगन दुबे जी एवं पवन रिछारिया जी एवं उनके सहपाठी एवं अध्यक्ष तोरण सिंह जी दांगी एवं जिला सहकारी अध्यक्ष पूर्व महोदय एवं विधायक श्रीमती लीना जैन हरि सिंह बड़ा जी सभी यजमान गण का स्वागत ग्राम डायला के पूर्व सरपंच देवेंद्र रघुवंशी रघुनाथ दुबे एवं उनके मित्र मंडल द्वारा सभी का सम्मान भी किया गया बड़े ही धूमधाम से रामायण मैया की आरती कर आनंद प्राप्त किया जय श्री राम बस