सीएमएचओ को जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश*
*• जिला अस्पताल की बजाय प्रसूता का प्रसव निजी अस्पताल में कराए जाने की शिकायत पर की कार्यवाही*
*• सीएम हेल्पलाइन शिकायतों की समीक्षा में सामने आई शिकायत*
कटनी (21 मार्च)- जिला चिकित्सालय कटनी में इलाज के लिए पहुंची एक प्रसूता का निजी अस्पताल में प्रसव कराए जाने से संबंधित एक शिकायत पर कलेक्टर कटनी ने सख्त रवैया अपनाते हुए संबंधित महिला चिकित्सक को जहां कारण बताओ नोटिस जारी करने निर्देशित किया हैं। वहीं इस संपूर्ण प्रकरण की जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को दिए हैं।
*ये है प्रकरण*
सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों के समाधान संबंधी समीक्षा के दौरान मंगलवार को कलेक्टर कटनी अवि प्रसाद के समक्ष एक शिकायत आई जिसमें जिसमें शिकायतकर्ता मोहम्मद नाजिर खान निवासी चंदिया जिला उमरिया ने बताया कि उसकी गर्भवती पत्नी परसाना बी को गत 11 सितंबर 2022 को प्रसव पीड़ा उठने पर वह इलाज के लिए जिला अस्पताल उमरिया ले गया था जहां पर चिकित्सक न होने की वजह से उसकी पत्नी को जिला अस्पताल कटनी रिफर कर दिया था। कटनी आने के दौरान उसके साथ मौजूद चंदिया की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हेमा तोमर द्वारा जिला अस्पताल कटनी पदस्थ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ श्रद्धा द्विवेदी से मोबाइल पर संपर्क किया गया तो डॉ द्विवेदी ने प्रसूता को जिला अस्पताल कटनी की बजाय अपने निवास पर बुला लिया गया और वहां पर प्रसूता की जांच कर उसे जिला अस्पताल कटनी की बजाय निजी अस्पताल शारदा हॉस्पिटल भेज दिया गया। शिकायतकर्ता द्वारा आपत्ति जताए जाने के बावजूद डॉ द्विवेदी और शारदा हॉस्पिटल प्रबंधन द्वारा महिला का प्रसव जबरन शारदा हॉस्पिटल में करा कर 15500 रुपए मोटी फीस वसूल की गई। निजी अस्पताल में प्रसव होने की वजह से प्रसूता को शासकीय योजना का लाभ भी नहीं मिल सका। जिसकी शिकायत सीएम हेल्पलाइन में किए जाने के बाद मंगलवार को शिकायतों के समाधान के दौरान कलेक्टर श्री प्रसाद द्वारा इसकी समीक्षा की गई।
*7 दिन में प्रस्तुत करें प्रतिवेदन*
शिकायतों की समीक्षा उपरांत कलेक्टर श्री प्रसाद ने जिला चिकित्सालय कटनी में पदस्थ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ श्रद्धा द्विवेदी को कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कटनी को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता चंदिया हेमा तोमर के बयान दर्ज कर सम्पूर्ण प्रकरण की जांच कर प्रतिवेदन 7 दिवस के अंदर प्रस्तुत करने निर्देशित किया है।