सीमा कैथवास की रिपोर्ट
नर्मदापुरम। शासकीय गृहविज्ञान स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय नर्मदापुरम में दिनांक 18 मार्च 2023 को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के उपलक्ष्य में मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद भोपाल द्वारा दैनिक जीवन में विज्ञान विषय पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ के एस. उप्पल पूर्व प्राचार्य शासकीय एमजीएम महाविद्यालय इटारसी, अध्यक्ष श्रीमती संध्या थापक अध्यक्ष जनभागीदारी समिति शासकीय गृहविज्ञान महाविद्यालय नर्मदापुरम, विषय विशेषज्ञ श्री बी.एल. मलैया वैज्ञानिक एवं जिला समन्वयक एनसीएससी नर्मदापुरम, विषय विशेषज्ञ श्री राजेश जायसवाल प्राचार्य शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रायपुर, विषय विशेषज्ञ श्री पंकज दुबे व्याख्याता शा. ज्ञानोदय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नर्मदापुरम, महाविद्यालय की प्राचार्य श्रीमती डॉ. कामिनी जैन गरिमामई उपस्थिति प्रदान की। मां सरस्वती की पूजन एवं दीप प्रज्वलन के पश्चात कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया सभी अतिथि द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष एवं माल्यार्पण किए गए इस अवसर पर संगीत विभाग की छात्रा कुमारी भानुप्रिया, अंजली एवं सौम्या ने वर दे वीणावादिनी वंदना की प्रस्तुति दी। हारमोनियम पर संगीत विभाग के विभागाध्यक्ष श्री प्रेम कटंगकार ने संगत देकर वंदना का सफल गायन करवाया। अतिथियों स्वागत सत्कार के उपरांत विज्ञान पर आधारित पुस्तिका का विमोचन किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ श्रीमती कामिनी जैन ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि इस कार्यषाला के अंतर्गत विभिन्न गतिविधियों, फिल्म शो, स्लाइड शो, क्विज, पोस्टर एवं मॉडल प्रतियोगिता, रैली, वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया। यह कार्यक्रम मेपकास्ट द्वारा वित्त पोषित है। विज्ञान ने मनुष्यों को दुखों से छुटकारा दिलाने, अज्ञानता को दूर भगाने व मुश्किलों को कम करने में सार्थक भूमिका निभाई है। विज्ञान मानव मनुष्य के लिए एक निष्ठावान सेवक की तरह कार्य करता है, चाहे वह जीवन का कोई भी क्षेत्र हो। विज्ञान हमारा मित्र है हम उसका दुरुपयोग करेंगे तो वह हमारे लिए हानिकारक हो सकता है। विज्ञान ने हमारे जीवन को सुगम बना दिया है। हमारे जीवन का कोई भी पक्ष विज्ञान से अछूता नहीं है गृहणियों के जीवन में विज्ञान अति महत्वपूर्ण वरदान साबित हुआ है। अब गृहणियों को अपना सारा समय रसोईघर में बिताने की आवश्यकता नहीं पड़ती। गृहणिंयों का कार्यभार अनेक उपकरणों ने कम कर दिया है और वह कार्यमुक्त होने पर अध्ययन, बच्चों के साथ समय बिताने पर भी ध्यान दे पाती हैं। विज्ञान में मानव जीवन बहुत आसान बना दिया है। विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ दीपक अहिरवार ने बताया कि मनुष्य का प्राचीन काल से ही विज्ञान के प्रति रुझान रहा है। विज्ञान दिवस मनाने का उद्देश्य था कि आमजन विज्ञान के प्रति जागरूक हो। विज्ञान ने हमारे जीवन की कठिनाई को आसान कर दिया है। श्री पंकज दुबे ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारे मस्तिष्क को आश्चर्य से आनंद मिलता है। विज्ञान हमें तर्कसंगत ज्ञान प्रदान करता है। तर्क, विश्लेषण और अंधविश्वासों से मुक्ति हम विज्ञान के द्वारा ही प्राप्त कर सकते हैं, परंतु यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि विज्ञान का चेहरा मानवतावादी होना चाहिए, जिज्ञासा विज्ञान की जननी है।
डॉ. बी एल मलैया ने अपने उद्बोधन में आहार विज्ञान के अंतर्गत हमारे दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले विभिन्न पदार्थों की विस्तृत जानकारी साझा की। विकास, विरासत, व्यंजन, व्यवहार मनुष्य के आहार पर निर्भर करते हैं। हमें आहार विज्ञान की उपयोगिता को समझना होगा और उसके अविष्कारों को मानव कल्याण हेतु लगाना होगा। विशिष्ट वक्ता डॉ राजेश जायसवाल ने विज्ञान को धर्म और अध्यात्म से जोड़ते हुए बताया कि भारतीय दर्शन को विज्ञान के दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है जीवन में विज्ञान के नए नए अविष्कारों का उपयोग जरूर करें पर संवेदनशीलता जरूर बचाए रखें। विज्ञान सतत् चलने वाली प्रक्रिया है। प्रकृति प्रदत्त चीजों से हमें नए प्रतिमान स्थापित करने के लिए सजग रहना है। हमें अपनी संवेदना को बचाए रखना है, परंतु मानव के जीवन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अति आवश्यक है। डॉ. के एस उप्पल ने अपने उद्बोधन में बताया कि वैज्ञानिक अभिवृत्ति ही हमारी सारी आवश्यकताओं की जड़ है। हमारे चारों ओर विज्ञान व्याप्त है। वर्तमान समय में हम चाहते हुए भी विज्ञान को अपने जीवन से नहीं निकाल सकते हैं। यदि विज्ञान के बिना हम दुनिया की कल्पना करें तो हमें एक शून्य ही दिखाई देता है। विज्ञान ने हमारे जीवन के हर क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन किया है। विज्ञान के सिद्धांतों पर बने अनेक उपकरणों ने हमारे जीवन को सरल बना दिया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही जनभागीदारी समिति की अध्यक्ष डॉ श्रीमती संध्या थापक ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विज्ञान के महत्व को बताते हुए बताया कि विज्ञान चारो ओर बिखरा हुआ है। विज्ञान के आविष्कारों ने हमेशा से मानव जीवन की जटिलता को कम करने का प्रयास किया है। यही कारण है कि हम आज तकनीक पर बहुत निर्भर हो गए हैं। आज हम घर बैठे बैठे हजारों किलोमीटर दूर किसी व्यक्ति से मोबाइल के माध्यम से संपर्क स्थापित कर सकते हैं।
कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ आशीष सौहगोरा ने एवं आभार डॉ अरुण सिकरवार ने किया। 13 मार्च से आयेजित विभिन्न प्रतियोगिताओं स्थान प्राप्त करने वाली छात्राओं को प्रमाणपत्र एवं मेडल प्रदान किये गये।
कार्यक्रम में डॉ किरण पगारे डॉ पुष्पा दुबे डॉ. वर्षा चौधरी डॉ. भारती दुबे डॉ. संध्या राय डॉ. संगीता अहिरवार, डॉ. रागिनी सिकरवार, डॉ श्रुति गोखले, डॉ आर वी शाह, डॉ. हर्षा चचाने, डॉ. कंचन ठाकुर, श्री कैलाश डोंगरे, डॉ. कीर्ति दीक्षित, डॉ रीना मालवीय, डॉ मधु विजय, डॉ. संगीता पारे, डॉ प्रीति मालवीय, डॉ. प्रगति जोशी, कुमारी सौम्या चौहान, डॉ. कीर्ति खरे, डॉ. मनीषा तिवारी, डॉ. प्रीति ठाकुर, डॉ. हेमंत चौधरी, डॉ. एकता गुप्ता, समस्त महाविद्यालयीन स्टॉफ एवं भारी संख्या में छात्राए उपस्थित रहीं।