सीमा केथवास की रिपोर्ट
नर्मदापुरम। अपने ड्रायवर की हत्या करके एसिड में शरीर के टुकड़े रखकर गलाने वाले डॉक्टर को न्यायालय ने आज दो धाराओं में अलग-अलग सजा सुनाई है। यह घटना नर्मदापुरम में 5 फरवरी 2019 को हुई थी। आरोपी डॉ. सुनील मंत्री को कोर्ट ने धारा 302, 201, आईपीसी के तहत दोषी करार दिया है। आरोपी डॉ. मंत्री को धारा 302 में आजीवन कारावास और 10 हजार रुपए जुर्माना और धारा 201 में 3 वर्ष का कारावास और पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है।
जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा एवं अरूण कुमार पठारिया, सहायक जिला अभियोजन अधिकारी जिला नर्मदापुरम के अनुसार फरियादी लक्ष्मीनारायण ने बताया कि उसका लड़का वीरेन्द्र उर्फ वीरू पचौरी उसकी पत्नी रानी बाई के साथ जुमेराती होशंगाबाद में रहता था। होशंगाबाद में ही डॉ. सुनील मंत्री के यहां ड्राइवरी करता था। पहले मेरी बहू रानी बाई भी वहीं काम करती थी। 04 फरवरी 19 शाम करीब 4 बजे मेरी बहू रानी बाई ने फोन करके बताया कि वीरू का फोन नहीं लग रहा है, आपके यहां आये हैं क्या? तब फरियादी ने कहा कि नहीं आया है। कहा कि कहीं गाड़ी लेकर गया होगा आ जायेगा। 05 फरवरी 19 को रानी बाई ने फोन करके बताया कि अभी भी वीरू नहीं आया है, तब फरियादी भतीजे पंकज और अभिषेक के साथ करीब 1 बजे डॉक्टर सुनील मंत्री से पूछने उनके घर गये, किंतु डॉक्टर ने अच्छे से बात नहीं किया और बहस करके हमें भगाने लगे। इसी दौरान वहां पर टीआई एवं स्टाफ आ गये थे। जिन्हें मैंने वीरू के गायब होने के संबंध में बताया और डॉक्टर साहब पर शक जाहिर किया था। टीआई ने डॉक्टर सुनील मंत्री के घर में तलाशी की थी तो उपर के एक कमरे में रखे नीले रंग के प्लास्टिक के ड्रम में पानी जैसा भरा था। जिसमें से एसिड की बदबू आ रही थी। उसमें मेरे लड़के वीरू का कटा सिर और कटा, पांव, धड़ जैसा दिख रहा था। वहीं बगल में बने बाथरूम में बांया पैर कटे हुये हिस्से तथा 03 आरी और एक लोहा काटने की आरी भी पड़ी दिखी है। मैंने ड्रम में पड़े सिर, चेहरे के हिस्से को देखकर वीरू उर्फ वीरेन्द्र को पहचाना। वीरू उर्फ वीरेन्द्र को डॉ. सुनील मंत्री ने किसी बात को लेकर मार डाला और लाश के टुकड़े को गलाने के लिये ड्रम में एसिड में डाल दिया है। रिपोर्ट पर आरोपी डॉ. सुनील मंत्री का कृत्य अपराध धारा 302, 201 भादवि का पाया जाने पर प्रकरण दर्ज कर विवेचना में लिया। प्रकरण में संपूर्ण विवेचना उपरांत आरोपी डॉ. सुनील मंत्री के विरूद्व अभियोग पत्र अंतर्गत धारा 302, 201 भादवि. का प्रस्तुत किया गया। प्रकरण में अभियोजन की ओर से 25 गवाहों के कथन कराये गये व प्रकरण संपूर्ण परिस्थितिजन्य साक्ष्य होकर डीएनए रिपोर्ट वैधानिक साक्ष्य के आधार पर दोषी पाया गया। न्यायालय हिमांशु कौशल द्वितीय अपर सेशन न्यायाधीश नर्मदापुरम के समक्ष विचारण में अभियोजन के साक्षियों को परीक्षित कराया गया। अभियोजन के साक्षियों की साक्ष्य से एवं जिला अभियोजन अधिकारी के द्वारा दिये गये तर्कों से सहमत होकर आरोपी डॉ. सुनील मंत्री को धारा 302, 201 भा.द.वि. में दोषी पाते हुए आजीवन सश्रम कारावास तथा 15,000 रुपए अर्थदंड से दंडित किया गया। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा एवं अरूण कुमार पठारिया, सहायक जिला अभियोजन अधिकारी जिला-नर्मदापुरम द्वारा सशक्त पैरवी की गई।
*घटना का विवरण* : – जिला अभियोजन अधिकारी श्री राजकुमार नेमा ने बताया कि फरियादी लक्ष्मीनारायण ने थाना कोतवाली नर्मदापुरम मै रिपोर्ट दर्ज करायी थी कि उसका लड़का वीरेन्द्र उर्फ वीरू पचौरी उसकी पत्नी रानी बाई के साथ जुमेराती होशंगाबाद में रहता था तथा होशंगाबाद में ही डॉक्टर सुनील मंत्री के यहॉ ड्राइवरी करता था। पहले मेरी बहु रानी बाई भी वहीं काम करती थी। दिनांक 04/02/19 के शाम करीबन 4ः00 बजे मेरी बहु रानी बाई ने फोन करके बताया कि वीरू का फोन नही लग रहा है आपके यहां आये है क्या तब फरियादी ने कहा कि नही आया है कहा कि कही गाड़ी लेकर गया होगा आ जायेगा। दिनांक 05/02/19 को रानी बाई ने फोन करके बताया कि अभी भी वीरू नही आया है, तब फरियादी भतीजे पंकज और अभिषेक के साथ करीबन दोपहर 1/ बजे डॉक्टर सुनील मंत्री से पूछने उनके घर गये, किंतु डॉक्टर ने अच्छे से बात नही किया और बहस करके हमे भगाने लगे तो तभी वहां पर कोतवाली नर्मदापुरम का पुलिस स्टाफ आ गया था । जिन्हें मैंने वीरू के गायब होने के संबंध में बताया था और डॉक्टर साहब पर शक जाहिर किया था। जिस पर टी.आई.त्रयम्बक सप्रे ने डॉक्टर सुनील मंत्री के घर में तलाशी की थी। तो उपर के एक कमरे में रखे नीले रंग के प्लास्टिक के ड्रम में पानी जैसा भरा था। जिसमें से एसिड की बदबू आ रही थी। उसमें प्रार्थी लड़के वीरू का कटा सिर और कटा, पाव, धड़ जैसा दिख रहा था। वही बगल में बने बाथरूम में बांया पैर के कटे हुये हिस्से तथा 03 आरी और एक लोहा काटने की आरी भी पड़ी दिखी । प्रार्थी ने ड्रम मै पड़े सिर, चेहरे के हिस्से को देखकर वीरू उर्फ वीरेन्द्र को पहचाना। वीरू उर्फ वीरेन्द्र को डॉ. सुनील मंत्री ने किसी बात को लेकर मार डाला और लाश के टुकड़े को गलाने के लिये ड्रम में एसिड में डाल दिया है। रिपोर्ट पर आरोपी डॉ. सुनील मंत्री का कृत्य अपराध धारा 302,201 भादवि का पाया जाने थाना कोतवाली पर असल अपराध 108/201़9 कायम कर विवेचना में लिया गया था ।
प्रकरण की विवेचना तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अरविंद सक्सेना ,अति.पु. अधीक्षक राकेश खाका के मार्गदर्शन एवम एसडीओपी मोहन सारवान के निर्देशन में तत्कालीन थाना प्रभारी निरीक्षक टी. सप्रे एवम निरीक्षक आशीष पवार द्वारा की गई । प्रकरण में संपूर्ण विवेचना उपरांत थाना प्रभारी निरीक्षक विक्रम रजक द्वारा आरोपी डॉ. सुनील मंत्री के विरूद्व अभियोग पत्र अंतर्गत धारा 302,201 भादवि. का माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
वर्तमान पुलिस अधीक्षक नर्मदापुरम गुरकरन सिंह के मार्गदर्शन मै अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अवधेश प्रताप सिंह एवं एसडीओपी पराग सैनी ने उक्त जघन्य एवं सनसनीखेज प्रकरण की सतत मॉनिटरिंग की। पुलिस नोडल अधिकारी उप. निरी. प्रेम सिंह जामोद एवं सहायक उप निरीक्षक सुखनंदन नर्रे द्वारा प्रकरण में अभियोजन की ओर से 25 गवाहों के कथन कराये गये।
माननीय न्यायालय ने प्रकरण में परिस्थितिजन्य साक्ष्य, डीएनए रिपोर्ट एवं अन्य वैज्ञानिक एवं भौतिक साक्ष्य के आधार पर आरोपी सुनील मंत्री को वीरेन्द उर्फ़ वीरू पचौरी की जघन्य हत्या का दोषी पाया गया।
माननीय न्यायालय श्री हिमांशु कौशल द्वितीय अपर सेशन न्यायाधीश नर्मदापुरम के समक्ष विचारण में अभियोजन के साक्षियों को परीक्षित कराया गया। अभियोजन के साक्षियों की साक्ष्य से एवं जिला अभियोजन अधिकारी के द्वारा दिये गये तर्को से सहमत होकर माननीय द्वितीय अपर न्यायधीश नर्मदापुरम श्री हिमांशु कौशल ने आरोपी डॉ. सुनील मंत्री को धारा- 302, 201 भा.द.वि. में दोषी पाते हुए आजीवन सश्रम कारावास तथा 15,000/- अर्थदण्ड से दण्डित किया हैँ।
प्रकरण में शासन की ओर से जिला अभियोजन अधिकारी श्री राजकुमार नेमा एवं श्री अरूण कुमार पठारिया, सहायक जिला अभियोजन अधिकारी जिला- नर्मदापुरम द्वारा सशक्त पैरवी की गई।