महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी को देश में मनाया जाएगा. इस दिन विधि-विधान के साथ लोग भोलेनाथ की पूजा अर्चना करेंगे. ऐसी मान्यता है कि जो लोग महादेव की विधि पूर्वक पूजा पाठ करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. भगवान शिव की पूजा में कुछ चीजें होना बहुत जरूरी जिसमें से एक है बेलपत्र. बिना इसके इनकी पूजा अधूरी मानी जाती है. आखिर बेलपत्र और शिव जी के बीच क्या संबंध है और सबसे पहले किसने इस पत्ती को भोलेनाथ को अर्पित किया था. इन सारे सवालों के जवाब इस लेख में आपको जरूर मिल जाएंगे आज.
सहस्त्र पुराण के मुताबिक समुद्रमंथन के दौरान जब विष निकला था उससे सृष्टि के विनाश का खतरा मंडरा रहा था. इसके कारण देवी देवता जीव जंतु सभी में हाहाकार मचा हुआ था. जिसके बाद सभी मिलकर शिव जी की पूजा करने लगे. तीनों लोको में त्राहिमान मचता देख भगवान शिव ने विष का प्याला पी लिया था
भोलेनाथ के विष पीने के कारण उनके दिमाग में गर्मी बढ़ने लगी जिसको शांत करने के लिए देवी-देवताओं ने उन्हें जल और बेलपत्र चढ़ाना शुरू कर दिया जिसके बाद से शिव जी को शांत और खुश करने के
लिए भक्तगण उन्हें बेलपत्र चढाते हैं
लेकिन बेलपत्र को लेकर एक और मान्यता है कि जब देवी पार्वती तप करने के बावजूद नीलकंठ को प्रसन्न नहीं कर पाई तो उन्होंने बेलपत्र पर राम लिखकर भोलेबाबा को चढ़ाया था जिसके बाद महादेव खुश हुए थे. इसलिए बिना बेलपत्र चढाए उनकी पूजा को पूर्ण नहीं माना जाता है
यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है एम पी न्यूज कास्ट इसकी पुष्टि नहीं करता है