हरदा शुकदेव जी ने राजा परीक्षित से कहां कि संसार मे आने मे पूरे नौ महिने लगते है पर संसार से जाने मे एक क्षण भी नही लगता पर बडी बिडम्वना है कि संसार मे आना सरल और संसार से जाना कठिन है आने का रास्ता सरल और समय ज्यादा पर जाने का रास्ता कठिन और समय कम।
कथा दु:ख ही नही दोष भी दूर करती ।
हमारे जीवन मे दु:ख से भी बडी समस्या दोष की है, हम कथा सुनकर दु:ख ही नही दोष को भी दूर करे, क्योकि दोष रह गया तो अगले जन्म मे भी कष्ट देगा, केवल हम चौथे पहर मे ही नही जीवन के चौथेपन मे भी जागे,
प्रभात तो रोज होता है पर जिस प्रभात मे ईश्वर का स्मरण हो जाऐ वह सुप्रभात हो जाता है , हम पेट के लिऐ कम और पेटी के लिऐ ज्यादा पाप कर रहे है, हमारा पेट नही हमारी पेटी पापी है, हमारा भगवान से निवेदन रहे कि प्रभु पाप मन से नही मजबूरी मे हो गया, तो आप माफ करो प्रभु जी मेरे अवगुण चित्त ना धरो,यदि हमारा भाव वंदन अच्छा है तो भव बंधन से तो पार हो ही जाऐगे, हम हमारे पित्तरो के लिऐ कुछ नही कर सकते तो भागवत की कथा सुनकर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप अर्पण करे, हम गायो को हरा चारा खिलाकर या चतु:श्लोकी भागवत सुनाकर भी पितृ ऋण मे मुक्त हो सकते है यह बात श्रीनगर कालोनी भाग्यश्री पेट्रोल पंप हरदा मे चल रही भागवत कथा मे द्वितीय दिन मे पं.नीरज महाराज ने कही। कथा कुशवाहा परिवार द्वारा कराई जा रही है।
हरदा से श्रीराम कुशवाहा की रिपोर्ट