नर्मदापुरम से सीमा कैथवास की रिपोर्ट –
नर्मदापुरम / इटारसी । नर्मदापरम जिले की इटारसी तहसील स्थित रॉयल ट्रिनिटी स्कूल संचालक और प्राचार्य पर पुलिस ने पालकों से धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है । दोनों पर जिला परियोजना समन्वयक जिला शिक्षा केंद्र की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया है। स्कूल की मान्यता 9 मार्च 2022 को शिक्षा विभाग ने समाप्त कर दी थी, बाबजूद स्कूल का संचालन हो रहा था। आज संचालक एवं प्राचार्य के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया है।
जिला परियोजना समन्वयक अजय कुमार कुंभारे की शिकायत पर इटारसी सिटी पुलिस ने स्कूल संचालक मैथ्यूस थामस एवं प्राचार्य रंजना लक्षमण के खिलाफ धारा 420, 34, 19(5) शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत मामला दर्ज किया है। जिला शिक्षा अधिकारी ने स्कूल संचालक एवं प्राचार्य के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश 20 दिसंबर 2022 को जिला परियोजना समन्वयक को दिये थे। आज जांच के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया है।
रॉयल ट्रिनिटी स्कूल संचालक मैथ्यूस थामस एवं स्कूल प्राचार्य रंजना लक्षमण के खिलाफ स्कूल की मान्यता समाप्त होने के बाद भी फर्जी तरीके से प्रश्नपत्र तैयार करने और फर्जी रसीद तैयार कर छात्रों के पालकों से धोखाधड़ी कर दो लाख वसूलने का प्रकरण बनाया है । पुलिस के अनुसार यह सब उन्होंने 9 मार्च 2022 से 6 जनवरी 2023 के बीच किया है। पुलिस ने 6 जनवरी 2023 को उनके खिलाफ प्रकरण भी पंजीबद्ध किया है। उल्लेखनीय है कि रायल ट्रिनिटी स्कूल संचालक और प्राचार्य पर स्कूल की मान्यता समाप्त होने के बाद भी पालकों से वसूली की अनेक शिकायतें हो रही थी। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने भी पिछले माह दिसंबर में इस मामले को लेकर आंदोलन किया था , और स्कूल का गेट बंद कर दिया था उस दौरान कुछ पालकों से उनकी बहस भी हुई थी । मामले की जानकारी मिलने पर प्रशासनिक अधिकारी इटारसी एसडीएम मदन सिंह रघुवंशी भी पहुंचे थे। इसके बाद जिला शिक्षा कार्यालय से अधिकारियों ने आकर जांच भी की थी। जांच में शिकायत सही पाई जाने के बाद शिक्षा विभाग की ओर से यह मामला दर्ज कराया गया है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि 5 जनवरी को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने स्कूल संचालक पर कार्यवाही न करने पर और एबीवीपी की मांग को न सुनने पर जिला प्रशासन का पुतला दहन किया था। जिसके बाद यह मामला काफी सुर्खियों में आया और जिला प्रशासन ने उनकी बात को सुना और गंभीरता पूर्वक कार्यवाही करने का आश्वासन भी दिया था। जिसके बाद यह f.i.r. शुक्रवार 6 जनवरी 23 को इटारसी थाने में पंजीबद्ध की गई । सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिले में संचालित स्कूलों को अनुमति देने और निगरानी करने वाला विभाग आरटीई के तहत फीस उपलब्ध कराने वाले विभाग के डीपीसी और जिला शिक्षा अधिकारी इतने दिनों से क्या करते रहे । जो उन्होंने आदेश के बाद तत्काल क्यों एफआईआर दर्ज नहीं कराई क्या इसके पीछे कोई बड़ा लेन देन हुआ है, इसकी भी विभागीय जांच होना चाहिए?? क्योंकि पिछले दिनों एबीवीपी ने जो मांग की थी स्कूल प्रबंधन पर कार्यवाही की अगर उस पर गंभीरतापूर्वक ध्यान दिया जाता तो शायद उन्हें पुतला दहन करने का प्रशासन के खिलाफ कदम न उठाना पड़ता।