नर्मदापुरम ब्यूरो रिपोर्ट –
इटारसी । नर्मदापुरम जिले के एक ख्यातिप्राप्त इटारसी से पत्रकार प्रमोद पगारे अपने अनुभव लिखते हैं कि लगभग 42 वर्ष उन्हें पत्रकारिता में हो गए हैं। जिला मुख्यालय पर जब कमिश्नरी भी नहीं थी तब से वह पत्रकारिता का कार्य कर रहे हैं। इस जिले में दर्जनों आईएएस अफसर आए और गए, परंतु वही आईएएस अफसर अमित छाप छोड़ गए जिनका व्यवहार आम आदमी, मीडिया, सरकारी तंत्र और राजनेताओं से सौहार्दपूर्ण रहा। नर्मदापुरम जिले को इस बात का सौभाग्य मिला कि अधिकांश आईएएस अफसर बेहतर आए ।वर्तमान में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के निवासी नीरज कुमार सिंह आईएएस विनम्र और सबको साथ लेकर चलने वाले, गरीबों के मददगार, शासकीय कर्मचारी और अधिकारियों ने अच्छे कार्य किए हैं तब उन्हें बधाई देना और उनके विरुद्ध आई झूठी शिकायतों पर संबंधित पक्षों को प्रताड़ना देना एवं अधिकारी और कर्मचारी गलत कार्य करें तो उनकी विशेष क्लास लेना । प्रातः काल 9:00 बजे से लेकर देर रात्रि तक जो जिम्मेदारी प्रदेश की सरकार ने नर्मदापुरम जिले के कलेक्टर श्री सिंह को दी है। उसमें वे शत-प्रतिशत खरे उतर रहे हैं। मां नर्मदा के किनारे राज्य सरकार की योजना बनखेड़ी के दूरस्थ अंचल और पचमढ़ी के ग्रामीण अंचल से लेकर टिमरनी की सीमा क्षेत्र तक गांव गांव का सफर उन्होंने किया है। आम आदमी से मिलने में उन्हें कभी कोई तकलीफ नहीं होती। उनके दरवाजे हमेशा पीड़ित और शोषित के लिए खुले हैं। उन्होंने नर्मदापुरम जिले में अधूरे पड़े हुए ऐसे ऐसे कार्यों को पूर्ण करा दिया जिनकी कल्पना नहीं की जा सकती थी। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने बहुत सोच समझकर उनको यह जिला दिया है। यहां राजनीति, धर्म, समाज सेवा ,कानून, पत्रकारिता व्यवसाय सभी में जिंदा लोग रहते हैं और स्वाभिमानी है। कलेक्टर श्री नीरज कुमार सिंह ने सदैव प्रत्येक तबके का साथ दिया और साथ लिया । अभी हाल ही में पचमढ़ी नवरंग महोत्सव जिस ऐतिहासिक ढंग से उन्होंने संपन्न कराया उसकी जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह की सबसे बड़ी खासियत यह है की शिकायत मिलने पर वे स्वयं जांच करते हैं और जरूरी हुआ तो मौका मुआयना भी करते हैं। निश्चित ही यह जिला एक सक्षम सबल और धैर्यवान आईएएस कलेक्टर नीरज कुमार सिंह के हाथों में है और उम्मीद है आने वाला वर्ष 2023 उनके हाथों से इस जिले के विकास में समर्पित भाव से कार्य कराएगा। नव वर्ष के उपलक्ष में हम उनके दीर्घायु जीवन की कामना करते हैं और प्रभु उनसे इसी तरह के सेवा कार्य निरंतर कराता रहे । यही कामना है एक बात हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं की स्तंभ लेखक बा मुश्किल से नीरज कुमार सिंह से 3 या 4 बार ही मिले है। लेकिन जिले में सभी जगह उनकी प्रशंसा सुनने को मिलती है। निश्चित ही वे बधाई के पात्र हैं ।