नर्मदापुरम ब्यूरो रिपोर्ट
नर्मदापुरम सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवियत्री थीं। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्री अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किये थे । उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है 1852 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की भी स्थापना की थी । ग्राम सांगाखेड़ा स्थित रामजानकी मंदिर में उनके जन्मोत्सव के अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें उनके चित्र पर माल्यार्पण कर सभी ने अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें नमन किया ।। आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संयुक्त माली सैनी सामाजिक कल्याण समिति के अध्यक्ष अजय सैनी उपस्थित रहे उन्होंने कहा कि सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं। सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। वे एक कवियत्री भी थीं उन्हें मराठी की आदिकवियत्री के रूप में भी जाना जाता था। जनपद पंचायत सदस्य मनीष सैनी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की और कहा कि सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं। हर बिरादरी और धर्म के लिये उन्होंने काम किया। जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उन पर गंदगी, कीचड़, गोबर, विष्ठा तक फेंका करते थे। सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुँच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं। अपने पथ पर चलते रहने की प्रेरणा बहुत अच्छे से देती हैं। विशिष्ट अतिथि के रूप में ग्राम के वरिष्ठ शिक्षक रामकुमार सैनी पप्पू सैनी पूर्व जनपद सदस्य राजू सैनी नरेंद्र सैनी हरीश सैनी शाहगंज से पधारे कैलाश सैनी तरुण सैनी बंटी सैनी शेखर सैनी राधेश्याम सैनी राजेश सैनी देवेंद्र सैनी आदि उपस्थित रहे कार्यक्रम का संचालन अंकित सैनी एवं आभार बृजमोहन सैनी द्वारा माना गया ।