सिहोरा जिला सिहोरा का वह हक है जो उसे 21 वर्ष पूर्व मिल जाना चाहिए था।सत्तारूढ़ सरकार ने सिहोरा जिला लागू करने से रोककर लोकतंत्र और संविधान का मजाक उड़ाया है।अगर सरकार ने जून 2023 के पहले सिहोरा को जिला नही बनाया तो सम्पूर्ण विधानसभा में जिला नही तो वोट नही अभियान चलाया जाएगा।यह चेतावनी लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति ने अपने आंदोलन के 62 वें धरने में शिवराज सरकार को खुले मंच से दी।बहोरीबंद से आए आम आदमी पार्टी के मोनू रजक ने धरना में पहुँच घोषणा की कि बहोरीबंद का सिहोरा जिले का हिस्सा होना क्षेत्र के लिए हितकर है।
*अक्टूबर 2021 से जारी है धरना-*
सिहोरा को जिला बनाने का आंदोलन अक्टूबर 2021 से निरंतर प्रत्येक रविवार किया जा रहा है।आंदोलनकारी 2001 और 2004 में कई गई तत्कालीन मुख्यमंत्रियों की घोषणा और 2003 में जारी राजपत्र को आधार बना सरकार पर लोकतांत्रिक और संवैधानिक प्रणाली का अपमान करने का आरोप लगा रहे है।
*जिला नही तो वोट नही अभियान-*
लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति ने अपनी जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि जब सरकार स्वयं लोकतांत्रिक मूल्यों का केवल राजनैतिक दृष्टि से आंकलन कर रही है तो फिर लोकतंत्र के यज्ञ में वोट रूपी आहुतियों का क्या मूल्य रह जाता है इसलिए अब सिहोरा वासियो को जिला नही तो वोट नही अभियान के लिए जाग्रत किया जाएगा।
62 वें धरने में समिति के नागेंद्र क़ुररिया,अनिल जैन,मदन सोनी,अनिल क़ुररिया,अजय विश्वकर्मा, नंदकुमार परौहा,कृष्णकुमार क़ुररिया,मानस तिवारी,गौरीहर राजें,जुगल पटेल,रामजी शुक्ला,विकास दुबे,सुशील जैन,अमित बक्शी,राजभान मिश्रा,करतार भगवानी,गुड्डू कटैहा,कृष्णकांत विश्वकर्मा, रामलाल यादव,नत्थू पटेल,मुकेश दीक्षित ,सुखदेव कौरव,पन्नालाल सहित अनेक सिहोरावासी मौजूद रहे।