नर्मदा पुरम से आरती मालवीय की रिपोर्ट
मातृभूमि और देश से बढ़कर धर्म नहीं कोई दूजा है
भारत माँ ख़ुशहाल रहे बस यही हमारी पूजा है।
नर्मदापुरम। राष्ट्र कवि पं. भवानी प्रसाद मिश्र की जन्मभूमि टिगरिया मे विराट कवि सम्मेलन का आयोजन का
माँ नर्मदा के घाट पर रेवा की कलकल धारा के साथ स्वर साधना की देश के दिग्गज मौलिक स्थापित कवियों ने रामकथा के अवसर पर आयोजित विराट कवि सम्मेलन जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि सुधीर पटेल के मुख्यातिथ्य , अध्यक्षता जनपद अध्यक्ष भूपेन्द्र चौकसे एंव विशिष्ट अतिथि मे जिला पंचायत सदस्य शिवा राजपूत, जनपद सदस्य यशवंत गौर,सरपंच श्रीमती लक्ष्मी गौर की उपस्थिति मे सम्पन्न हुआ।
देश के बडे मंच संचालक श्री कौशल सक्सेना के संचालन मे लोकप्रिय हास्य कवि मुकेश शांडिल्य,मधुर कंठी लोकप्रिय कवयित्री नमृता श्रीवास्तव वीर रस के प्रसिद्ध युवा कवि विजय गिरी।ओज-हास्य कवि श्री दिनेश याज्ञनिक और करुण रस के ख्याति प्राप्त कवि श्रीहरीश पांडे ने शानदार काव्यपाठ किया।
कवि सम्मेलन देर रात तक जारी रहा देश के विभिन्न अंचलों से आये 8 कवियों ने हजारों श्रोताओं को अपनी कविता,गीत,गजल,ओज , हास्य, व्यंग्य की रचनाओं से भाव विभोर कर दिया।इस मौके पर साहित्यकारों, पत्रकारों का शाल श्रीफल से सम्मान किया गया।
सरस्वती पूजन कर कार्यक्रम प्रारंभ हुआ अतिथियों एंव कवियों का स्वागत कार्यक्रम संयोजक कमलेश गोस्वामी ने फूल मालाओं से किया।
सरस्वती वंदना भोपाल से आई नमृता श्रीवास्तव की प्रस्तुति से कवि सम्मेलन प्रारंभ हुआ। उन्होंने कहा “मातृभूमि और देश से बढ़कर धर्म नहीं कोई दूजा है।भारत माँ ख़ुशहाल रहे बस यही हमारी पूजा है।” पर खूब वाहवाही लूटी । टिमरनी के मुकेश शांडिल्य ने ऊंचाई प्रदान करते हुए अपनी रचना ‘‘टुनटुन लगती है काली रूप धरती है आई वो तूफान जैसी मेरी जिंदगानी में
मेरी बीवी नदी में नहाने जब उतरी तो किनारे के लोग बोले गई भैंस पानी में” प्रस्तुत की, जिसको श्रोताओं ने खूब तालियां बजी।
कवि सम्मेलन का कुशल संचालन कर रहे रायसेन से आये कौशल सक्सेना ने अपनी रचना में कहा की “मुँह में जहर हाथ मे लट्ठ सहेजने वाले।
कहा मर गए बाबा को मठ भेजने वाले” श्रोताओं बहुत सराहा गया ओर जयश्रीराम के नारे लगाये देवनगर के दिनेश याज्ञनिक ने खूब वाहवाही लूटी। हरीश पांडे ने बाल पके बूढे हो गये, मिला न कन्यादान प्रभु दो शादी का वरदान, बांध के सेहरा हम भी जग में ,पालेंगे सम्मान प्रभु दो….।
कांटाफोड़ से आये मनोज दुबे की रचना “बहुत याद आती हैं पापा तुम्हारी” बहुत सराही गई।भोपाल से आये विजय बारुद,इटारसी के डाँ.सतीश शमी ने की रचनाओं पर श्रोताओं ने खूब ताली बजाई ओर देर रात तक श्रोताओं को खूब गुदगुदाय एवं लोट पोट करते हुए बांधे रखा। कार्यक्रम का संचालन विनय गौर एंव आभार प्रर्दशन सुदीप पटैल ने दिया।