नर्मदापुरम आरती मालवीय की रिपोर्ट
नर्मदापुरम / पचमढ़ी निवासी एवं वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार मनोज दुबे ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित जिले के आला अधिकारी कलेक्टर नीरज कुमार सिंह को पत्र लिखकर पचमढी में स्थित तहसील कार्यालय की वास्तविक स्थिति से अवगत कराते हुए पत्र में लिखा है कि पचमढ़ी का तहसील कार्यालय मात्र आरआई और स्टाप एक नाम पर मात्र एक चौकीदार पदस्थ है। जब भी तहसील कार्यालय मे कोई व्यक्ति जाता है उसे यह कहकर टाल दिया जाता है कि आजकल सब कुछ ऑनलाईन है। पत्रकार दुबे का कहना है कि पचमढ़ी की इस व्यवस्था के विषय में कलेक्टर के संज्ञान में लाकर बताना चाहते है कि पचमढ़ी के आला अधिकारियों को इस स्थिति की जानकारी नहीं है? पचमढ़ी निवासी पत्रकार मनोज दुबे ने अपने मकान की रजिस्ट्री गुम हो जाने बावत तहसील कार्यालय पचमढ़ी को एक आवेदन दिया था लेकिन उन्हे गुमराह किया गया। जिसका जिठ्ठा खुलकर आज उस वक्त सामने आया कि उनका निवास पचमढ़ी स्थित , जिला नर्मदापुरम (मकान की रजिस्ट्री) 93/674 मकान सर्वे नं. नेहरू मार्ग गांधी चौक पचमढ़ी है। जो कि उक्त रजिस्ट्री गुम हो जाने के चलते मनोज दुबे ने 28 सितंबर 2022 को तहसीलदार के नाम तहसील कार्यालय पचमढी में आवेदन प्रदान किया था। इसके बाद उक्त रजिस्ट्री निकलवाने हेतु उनके द्वारा सीएम हेल्पलाइन में शिकायत भी दर्ज कराई। आवेदन देने के बाद मैंने सारी प्रक्रियाएं तहसीलदार पिपरिया , आरआई पचमढ़ी को अवगत कराई एवं मोबाइल पर भी निवेदन किया। लेकिन पत्रकार दुबे का कहना है कि आज तक कोई भी निराकरण गंभीरतापूर्वक नहीं किया गया । मात्र अनदेखी और उपेक्षा के चलते रजिस्ट्री आज तक न तो पचमढ़ी तहसील कार्यालय के द्वारा खोजी गई और न ही सबरजिस्ट्रार पिपरिया से कोई भी कर्मचारी ने किसी प्रकार की कोई भी शासकीय तौर पर इस समस्या का निराकरण करने में रुचि दिखाई। उनका कहना है केवल लीपापोती कर उन्हे तहसीलदार द्वारा यह अवगत कराया गया कि उक्त रजिस्ट्री पचमढ़ी में नहीं है, हमने कर्मचारी से प्रयास कराया। शिकायत पत्र के माध्यम से यह भी अवगत किया है कि पचमढ़ी स्थित तहसील कार्यालय की आज वर्तमान में स्थिति यह है कि यहां मात्र एक आरआई एवं चौकीदार के अतिरिक्त कोई भी कर्मचारी यहाँ महिनो से नही है । पचमढ़ी निवासियों को कोई तहसील का कार्य होता है तो कह दिया जाता है कि ऑनलाईन कर दो आजकल सभी कार्य ऑनलाईन होता है। लेकिन ऑनलाइन की बात कहकर मजबूरी में गरीब, बेसहारा लोगों को अपने आवेदन लेकर पिपरिया जाना पड़ता है। श्री दुबे का कहना है कि अपनी गुम रजिस्ट्री के लिए दर दर जब उन्हे एक पत्रकार के नाते भटकना पडा तो आम जनता का क्या हाल होता होंगा। श्री दुबे ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मीडिया के माध्यम से पचमढ़ी तहसील कार्यालय में हो रही ऐसी अनियमितताओ की जांच कराने की गुहार लगाई है। और बताने का प्रयास किया हैं कि आखिर यह मध्यप्रदेश की सरकार की नाक के नीचे पचमढ़ी में सरकारी दफ्तरों में क्या चल रहा है? पत्रकार मनोज दुबे ने अंत में जिला कलेक्टर से मोबाइल पर चर्चा कर अपनी समस्या से अवगत कराया। श्री दुबे को जिला कलेक्टर द्वारा आश्वस्त किया। और उक्त प्रकरण को भेजने हेतु कहा गया। मेरी समस्या का निराकरण त्वरित करने व मेरे मकान की रजिस्ट्री को जल्दी उपलब्ध कराने में उन्होंने सहयोग प्रदान करने में रुचि दिखाई। अब जाकर उन्हे एक उम्मीद की किरण नजर आई की अब उन्हे उनकी गुम रजिस्ट्री मिल सकेंगी।