डगामा नीमा ग्राम में रहने वाले 36 वर्षीय युवक भागीरथ घाटे की हत्या की खबर से गांव में सनसनी मच गई l
पुलिस को खबर मिलते ही टिमरनी पुलिस मौके पर पहुंचकर घटनास्थल का मौका मुआयना कर तथ्यों और सबूतों को इकट्ठा करने के लिए तुरंत जांच में जुट गई l हरदा से एसपी महोदय भी पहुंच गए lऔर इस पूरे मामले में करताना पुलिस एवं टिमरनी पुलिस थाना प्रभारी सुशील पटेल और टिमरनी पुलिस जुट गई गई l क्योंकि आरोपी पुलिस गिरफ्त से दूर था आरोपी ने अपने बचाव के लिए साक्ष्य को मिटाने का प्रयास किया और पुलिस को गुमराह करता रहा l पुलिस की इन्वेस्टिगेशन में यह सब बातें सामने आई हत्यारे के खिलाफ कोई ठोस प्रमाण पूर्व में नहीं मिल रहा था l लगभग 4 से 5 दिन एक कड़े इन्वेस्टिगेशन के बाद आरोपी हरकिशन हुरमार्ले ने शुरू में पुलिस को गुमराह करने के लिए तरह-तरह के बयान दिए परंतु पुलिस को संदेह होने पर पुलिस ने ग्राम में भी से पूछताछ की तो पता चला कि मृतक का अन्य किसी से कोई विवाद नहीं है l पुलिस पुलिस की अपनी जांच पड़ताल चलती रही l वहीं अन्य सामाजिक दलों का भी पुलिस प्रशासन पर आरोपी को ढूंढ निकालने के लिए दबाव दिया जा रहा था l काफी जांच पड़ताल के बाद आरोपी ने अपना जुर्म कबूल करते हुए पुलिस को बताया कि मृतक साथ आरोपी ने उसकी बहन को आपत्तिजनक स्थिति में देखकर l आरोपी ने मृतक की हत्या कर दी l आरोपी द्वारा बताए जाने के बाद पुलिस ने मेंअपराध क्रमांक 751/22 में आरोपी पर धारा 302,साक्ष्य मिटाने पर धारा 201 के अंतर्गत मामला कायम किया गया l
इन मामलों की जांच करने के लिए पुलिस को अनेक प्रकार की कठिनाईयों का सामना करना पड़ा फिर भी पुलिस ने हत्या के आरोपी को ढूंढ ही निकाला टिमरनी पुलिस प्रशासन के हाथ एक बड़ी सफलता लगी l
पुलिस प्रशासन द्वारा 1/12 /2022 को प्रेस कॉन्फ्रेंस हरदा में रखी गई और मीडिया के सामने मामले का खुलासा किया l
*संभावित है कि पुलिस इन्वेस्टिगेशन को निम्न बिंदुओं से होकर गुजरना पड़ता है*
संभावना है कि पुलिस इन्वेस्टिगेशन के दौरान पुलिस को निम्न बिंदु से होकर गुजरना पड़ता है l
सबसे पहले पुलिस जुर्म या क्राइम की रिपोर्ट को पुलिस सर्वप्रथम सीआरपीसी के अंतर्गत धारा 154 में संगेय अपराध की श्रेणी में लेती है lऔर एक (I.O)इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर सेक्शन 156 के तहत नियुक्त करती है lघटनास्थल का मौका मुआयना धारा 157 के तहत किया जाता है धारा 160 के तहत गवाह इकट्ठे किए जाते हैं धारा 161 के तहत गवाहों के बयान होते हैं l गंभीर परिस्थितियों में पुलिस के पास सर्च करने की शक्ति धारा 165 के तहत होती है l पुलिस पूछताछ के के दौरान कठिन परिस्थितियों में धारा 167 के तहत पुलिस रिमांड भी ले सकती हैं l पुलिस पूरे केस को एक डायरी में धारा 172 के तहत संकलन करती है l अंत में 60 से 90 दिन की समय सीमा में डायरी कंप्लीट होने के बाद चार्जशीट या चालान को 173 के तहत न्यायालय में प्रस्तुत करती है l इस प्रकार पुलिस का इन्वेस्टिगेशन पूर्ण होता हैl
संवाददाता अमित कुमार बिल्ले जिला हरदा मध्य प्रदेश