बिछुआ एक ऐसा क्षेत्र है, जहां नगरपरिषद होते हुए भी और संबंधित अधिकारी के होते हुए भी नगरपरिषद कहलाने लायक नहीं बचा, या कूड़ा कचरा के समान दीखने वाला क्षेत्र बन गया है। रोड की दशा देखकर ऐसा लगता है कि कर्मचारीगण भी मिट्टी की धूल में जीवन यापन करने लगे हैं। बिछुआ मुख्यालय के मुख्य बस स्टैंड से कॉलेज मार्ग में आवागमन करना अब आसान काम नहीं है। सड़क पर उड़ रही धूल से लोगों का चलना मुश्किल हो गया है। सड़कों पर बने बड़े बड़े गड्ढे और कीचड से तो राहगीर पहले से ही परेशान हो रहे थे, अब उड़ती धूल का भी सामना करना पड़ रहा है। इस मार्ग पर कई विभाग के मुख्य कार्यालय भी हैं। फिर भी संबंधित अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। स्कूल कॉलेज के बच्चे, राहगीर हजारों की संख्या में इसी मार्ग से गुजरते हैं। उन्हें भी उड़ती धूल का सामना करना पड़ता है। जिससे सड़क लगातार खराब होती जा रही है। शहर के बीच से लगातार भारी वाहनों के गुजरने से धूल उड़ने लगती है। इस मार्ग पर धूल ही धूल नजर आता है। धूल उड़ने से चालकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। भारी वाहन के आवाजाही से परेशानी बढ़ जाती है। भारी वाहन के पीछे-पीछे चलने वाले छोटे-छोटे वाहन खासकर साइकिल एवं मोटरसाइकिल, ऑटो, चालकों को ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ती है। बाइक चालक को सड़क पर उड़ रही धूल आंखों के सामने ओझल कर देती है। इससे अक्सर दुर्घटना होनी की संभावना बनी रहती है। बिछुआ क्षेत्र के नेतागण सिर्फ वोट मांगने तक ही सीमित रहते हैं इस समस्या को दूर करने के लिए बिछुआ क्षेत्र के कोई भी नेतागण सामने नहीं आ रहे है। देखना यह है कि खबर प्रकाशित होने के बाद संबंधित अधिकारी और नेतागण क्या सुध लेते हैं या इसी तरह कुंभकरण की नींद सोते रहेंगे।
*संवाददाता शुभम सहारे छिंदवाड़ा*