प्रदीप गुप्ता/ नर्मदापुरम/नगर के मालाखेड़ी रोड क्षेत्र के श्री वनस्थली विद्यालय में चल रही संगीत में श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन भागवत आचार्य पंडित सोमनाथ शर्मा ने श्रीमद्भागवत के दूसरे स्कंध की कथा को सुनाते हुए कथा को प्रारंभ किया। जब राजा परीक्षित को श्राप लग गया था तो भगवान से उन्होंने प्रार्थना की, कि भगवान मेरे कल्याण का कोई साधन बताइए। उस समय भगवान के ही रूप में श्री सुकदेव जी महाराज राजा परीक्षित के समक्ष आ गए जिन्होंने राजा परीक्षित के सुंदर प्रश्नों को सुना। जब राजा परीक्षित ने प्रश्न किया कि उस मनुष्य को क्या करना चाहिए जिसकी मृत्यु 7 दिन में होने वाली है। इस प्रश्न को सुनकर श्री सुखदेव भगवान प्रसन्न हो गए और कहने लगे कि ऐसे पृष्ठ कि ज्ञानी लोग बहुत प्रशंसा करते हैं। हे राजन तुमने तो इस जगत के कल्याण के लिए प्रश्न किया है अर्थात इस जगत में सभी को 7 दिन में मरना है सातवें दिन के अलावा कोई आठवां दिन है ही नहीं इसलिए मनुष्य को प्रयास करना चाहिए कि इन्हीं 7 दिन में कोई ना कोई उपाय करके अपना कल्याण कर ले श्री सुखदेव भगवान राजा परीक्षित को जीवन के लिए प्रधान साधन बताएं और दूसरे स्कंध में चतुश्लोकी भागवत का वर्णन किया । तीसरे स्कंद की कथा को सुनाते हुए व्यास जी ने कहा कि विदुर जी का मैत्रेय जी का मिलन किस स्थान पर हुआ था और ऋषिकेश में किस प्रकार मेत्रैय जी ने विदुर जी को भागवत की कथा सुनाई थी। सृष्टि क्रम का सुंदर वर्णन करके सोता भाव विभोर हो गए कि किस प्रकार भगवान वराह ने हिरण्याक्ष का वध करके पृथ्वी को रसातल से निकाल कर बाहर लाएं और उसमें आधार शक्ति की स्थापना की कथा में मनु और शतरूपा जी के सुंदर चरित्र का वर्णन हुआ। जिसमें उनकी तीन कन्या और दो पुत्रों की कथा का वर्णन हुआ, किस प्रकार शंकर जी का अपमान करके दक्ष प्रजापति को दुख भोगना पड़ा और भगवान शंकर की महिमा श्रीमद् भागवत में भी बताई गई, साथ ही कथा में उपदेश के माध्यम से यह भी बताया कि मृत्यु जीवन का कड़वा सच है। श्रीमद्भागवत की कथा मृत्यु को तो नहीं डाल सकती परंतु मृत्यु के भय को दूर कर सकती है। कथा के तीसरे दिन ध्रुव चरित्र तक की सुंदर कथा सुनाई गई कि किस प्रकार 5 वर्ष के एक बालक ने केवल 6 महीने के भजन से भगवान को अपने पास बुला लिया और भगवान ने वरदान के रूप में ध्रुव लोक में ध्रुव जी महाराज को स्थान दिया। भगवान की भक्ति के लिए कोई उम्र नहीं होती है यह तो जब से हम होश संभाले तब से ही हमें भक्ति करना चाहिए। क्योंकि मनुष्य की कल्याण की इच्छा को केवल भगवान की भक्ति ही पूरा कर सकती है। कथा के चौथे दिवस श्रीमद् भागवत में श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा। कथा का समय प्रतिदिन दोपहर 1:00 से 5:00 बजे तक है। कथा का आयोजन अजली मिश्रा गुप्ता, एडव्होकेट अमित गुप्ता श्री वनस्थली परिवार द्वारा कराया जा रहा है। जिन्होंने सभी से अधिक से अधिक संख्या में जन्मोत्सव सम्मिलित होने की बात कही है।