प्रदीप गुप्ता/ नर्मदापुरम/4 इंच व्यास की तुलना में 16 गुना अधिक प्रकाश एकत्र करने वाले और 799 गुना आर्वधन क्षमता वाले मध्यभारत के विशाल टेलिस्कोप से सौरमंडल के सबसे विशाल ग्रह जुपिटर का अवलोकन कराया गया। खगोल विज्ञान प्रसारक सारिका ने बच्चों के साथ आम लोगों को इस समय सांध्यकालीन आकाश में स्थित चंद्रमा, शनि , मंगल के साथ बृहस्पति का अवलोकन कराके वैज्ञानिक जानकारी दी। आकाश दर्शन के इस कार्यक्रम में मानव नेत्र की तुलना में 3257 गुना अधिक प्रकाशसंग्रहण करने वाले इस टेलिस्कोप से बच्चों ने जुपिटर के चार बड़े मून आयो, यूरोपा, गेनीमेड और कैलिस्टो को देखा।सारिका ने बताया कि यदि पृथ्वी एक अंगूर के बराबर मानें तो जुपिटर बास्केट बॉल के बराबर होगा। जुपिटर के भूमध्य रेखा पर 11 पृथ्वी रखी जा सकती हैं। यह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। जुपिटर हमारे सौरमंडल के अन्य ग्रहों की तुलना में दोगुने से अधिक भारी है। जुपिटर लगभग हर 10 घंटे में अपने अक्ष पर एक बार घूमता है लेकिन सूर्य की परिक्रमा करने में लगभग 12 पृथ्वी वर्ष लगते हैं। जुपिटर के अब तक 80 चंद्रमा खोजे जा चुके है। इनमें से 57 का नामकरण हो चुका है बाकी 23 प्रतीक्षासूची में हैं। जुपिटर का ग्रेट रेड स्पॉट सदियों पुराना तूफान है जो कि पृथ्वी से भी बड़ा है। इसकी धारियां वास्तव में अमोनिया और पानी के ठंडे बादल हैं जो हाइड्रोजन और हीलियम के वातावरण में तैर रहे हैं। आगे जानकारी दी कि सूर्य से पांचवा ग्रह जुपिटर इस समय पृथ्वी से लगभग 66 करोड़ किमी दूर था। जुपिटर का परावर्तित प्रकाश पहुंचने में ही लगभग 37 मिनिट लग रहे हैं। यह इस समय हमसे दूर होता जा रहा है।सारिका ने बताया कि बड़े साइंस सेंटर में भी इस प्रकार के टेलिस्कोप नहीं है। नर्मदापुरम के बच्चों एवं आमलोंगों में निःशुल्क रूप से खगोलविज्ञान को प्रोत्साहन देने उन्होंने स्वयं के व्यय पर इसे आयात किया है।