जिला अस्पताल के चिकित्सकों ने 8 वर्ष के मासूम को मौत के मुहाने से बचा लिया। दरअसल 8 वर्ष के मासूम को सर्पदंश के बाद जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां मासूम की सांसे रुक चुकी थी, मौत सामने खड़ी थी, सतना जिला अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ और उनकी टीम ने आस नहीं छोड़ी एक हफ्ते तक दिन रात मासूम का इलाज किया, तीन दिन तक वेंटिलेटर पर रखकर उसे जीवित रखा गया, आखिरकार डॉक्टरों ने सफलता पाई और मासूम को मौत के मुंह से निकाल कर बाहर ले आए।
स्वस्थ होने के बाद सतना जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने इस मौत से जीत का जश्न मनाया, मासूम से केक कटवा कर जश्न मनाया, उसे खुशी-खुशी घर वापस भेजा है
जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने यह संदेश भी दिया कि यदि ऐसी परिस्थितियों में परिजन बिना किसी अंधविश्वास में पड़े तत्काल इलाज के लिए अस्पताल ले जाएं, तो संभव है की समय पर इलाज मिलने से मौत के भी हराया जा सकता है।
सतना के रामपुर बघेलान अंतर्गत कुलुहा गांव का रहने वाला है, सत्यम के पिता का नाम भाग्य चंद्र केवट है, जिनके लिए शायद आज जिंदगी का सबसे हसीन दिन होगा क्योंकि उनका मासूम बेटा मौत के मुंह से वापस लौट है, आज से 7 दिन पूर्व 1 अक्टूबर को सत्यम जब खेल रहा था तभी उसे एक जहरीले सर्प ने काट लिया, सर्प के काटते ही सत्यम की हालत बिगड़ गई नब्ज धीमी पड़ने लगी परिजन उसे लेकर अस्पताल की ओर भागे सतना जिला अस्पताल लाने में काफी समय लग गया क्योंकि गांव से जिला अस्पताल की दूरी लगभग 45 किलोमीटर थी, परिजनों ने जब सत्यम को भर्ती कराया सांसे रुक चुकी
डॉक्टरों ने तत्काल इलाज शुरू किया और सत्यम को वेंटिलेटर पर डाल दिया, परिजनों ने उम्मीद छोड़ दी थी कि उनका बेटा उन्हें दोबारा मिलेगा, लेकिन सतना जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने हार नहीं मानी थी सत्यम का सात दिनों तक इलाज चलता रहा, दिन-रात डॉक्टर सत्यम की निगरानी करते और इलाज जारी रखा, यह कहना गलत नहीं होगा की यहां के डॉक्टरों ने आज मौत को भी हरा दिया, इस बात की खुशी ना सिर्फ सत्यम के माता-पिता को थी, बल्कि सतना जिला अस्पताल के डॉक्टर और पूरे स्टाफ को भी थी।