भोला नामदेव एमपी न्यूज़ कास्ट
उमरिया, जिले के करकेली जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम अमडी, कोहका-47, डोंगरगवां, मर्दर, बिरहुलिया एवं करौंदी के किसान प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं । किसान रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशी को छोड़, प्राकृतिक खाद एवं कीटनाशक तैयार कर अपने खेतों में उपयोग कर रहे हैं । यह कार्यक्रम प्राकृतिक खेती के राष्ट्रीय गठबंधन मध्य प्रदेश चैप्टर की पहल एवं सामाजिक संस्था विकास संवाद के सहयोग से चलाया जा रहा है । वर्तमान में 6 गांव के 125 किसानों के 165 एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती की जा रही है । उक्त कार्यक्रम में दो बीआरसी एवं एक प्राकृतिक कृषि किसान खेत पाठशाला का संचालन किया जा रहा है ।
प्राकृतिक कृषि किसान खेत पाठशाला के किसान बाबूलाल सिंह बताते हैं कि वे पहली बार प्राकृतिक खेती अपनाएं हैं । शुरुआत में उन्हें डर था कि बिना रासायनिक खाद के फसल नहीं हो पाएगा । फिर उन्होंने हिम्मत करके अपने खेत में प्राकृतिक खाद का उपयोग किया । जिसके परिणाम प्रभावी एवं असरकारक रहे । बाबूलाल की माने तो प्राकृतिक खाद बनाना बहुत ही आसान है । जो स्थानीय स्तर पर उपलब्ध गोमूत्र, गोबर, गुड़, बेसन एवं विभिन्न तरह के पत्तियों से सहजता से बनाया जा सकता है । वे अपने यहां बीजामृत,जीवामृत, घनजीवामृत जैसे खाद एवं दशपर्णी ,आग्नेयास्त्र व ब्रह्मास्त्र जैसे कीटनाशी का निर्माण कर स्वयं उपयोग कर रहे हैं । साथ ही खेत पाठशाला में आने वाले दूसरे किसानों को भी सिखाते हैं ।
विकास संवाद संस्था से जुडी माया शर्मा बताती हैं कि आज खेती की लागत दिनों दिन बढ़ता जा रहा है । लगातार रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से मिट्टी की अंकुरण क्षमता कम होती जा रही है । मिट्टी में कठोरता भी बड़ी है, इसके साथ साथ कीड़ों का भी प्रकोप बढ़ा है । इन तमाम समस्याओं से निपटने के लिए प्राकृतिक खेती एक सफल विकल्प है । संस्था द्वारा किए जा रहे इस प्रयास से रामखेलावन सिंह, अमर सिंह, सोनू तिवारी, इंद्रभान सिंह, भूपत सिंह,कलम सिंह एवं पप्पू बैगा जैसे सैकड़ों किसान जुड़कर लाभ ले रहे हैं ।