सिवनी 25 शासन के निर्देशानुसार मिलावट से मुक्ति अभियान अंतर्गत खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा जिले के विभिन्न खाद्य प्रतिष्ठानों का औचक निरीक्षण कर खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता जांच की जा रही है एवं अमानक खाद्य पदार्थ विक्रय करने वाले प्रतिष्ठानों पर नियमानुसार कार्यवाही करते हुए अर्थदंड आरोपित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में एडीएम एवं सीजीएम कोर्ट द्वारा जिले के विभिन्न खाद्य कारोबारियों पर अधिरोपित कुल 4,55,000 रुपए अर्थदंड की राशि जमा कराई गई, जिसमें मां वैशाली राजपुरोहित छपारा से 25 हजार रुपए, मुकेश साहू चमारी खुर्द छपारा से 30000 रुपए, लीलाराम लोहारी छपारा 7000 रुपए, विनय कुमार रजक घंसौर से 5000 रुपए, मथुरा प्रसाद साहू से 10000 रुपए, सुनील होटल घंसौर से 15000 रुपए, राजू ढाबा कुईया से 15000 रुपए, मनीष यादव से 10000 रुपए, गुप्ता किराना एवं अनाज भंडार से 20000 रुपए, संजय राय से 50000 रुपए, आशीष देसाई से 1 लाख रुपए, मुनिया चांदनी वाला से 150000 रुपए अर्थदंड राशि अधिरोपित की गई थी, जिसे खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा जमा करवाई गई। जिले में मिलावटी खाद्य पदार्थ विक्रय करने वाले कारोबारियों के विरुद्ध खाद सुरक्षा मानक अधिनियम 2006 अंतर्गत कुल 12 प्राथमिकी प्रकरण संबंधित थानों में दर्ज की गई है। इसी क्रम में जांच दल द्वारा शुक्रवार 23 सितंबर को गंगेरुआ बजरंग ट्रेडर्स से चाय पत्ती का नमूना जांच हेतु लिया गया। *कानून कहता है खाद्य पदार्थ एवं दवाओं में मिलावट पर होगी उम्रकैद*
सरकार ने दंड प्रक्रिया संहिता की धाराओं में संशोधन कर नोटिफिकेशन जारी किया, पहले इन धाराओं में अधिकतम सजा 6 महीने थी
मिलावटखोरों को अब तक पर्याप्त सजा नहीं मिलती थी। ये ही हाल नकली दवाओं के मामलों का भी था। मिलावट के खिलाफ जारी अभियान के दौरान प्रदेश सरकार ने मिलावटियों और नकली दवा बेचने वाले अपराधियों को सख्त सजा दिलाने के लिए आईपीसी की धारा 272 व 273 और नकली दवा में आईपीसी की धारा 274, 275 और 276 में बदलाव किया है।मिलावटखोरों को गैर जमानती धाराओं में तुरंत गिरफ्तार किया जा सकेगा। कानूनी धाराओं में हुए संशोधन के तहत अब पूरे राज्य में मिलावटखोरों को उम्रकैद जेल होगी। प्रदेश सरकार ने कैबिनेट में मंजूरी के बाद दंड कानून (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2021 को मंजूरी देने के बाद 9 मार्च को गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। भारतीय दंड संहिता 1860 से अब तक मिलावटियों को थाने से ही जमानत पर छोड़ दिया जाता था। धारा 272, 273, 274, 275 व 276 में अधिकतम सजा छह माह की थी। अब जो भी अपराध दर्ज होगा वह नये कानून के तहत अजमानतीय होगा। जिसकी सुनवाई सत्र न्यायालय में सुनवाई होगी। मिलावटखोरों को सबक सिखाने के लिए प्रदेश सरकार अब तक कानूनी धाराओं के साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई करने का फैसला लिया था।
*किस मिलावट में किस सजा का प्रावधान* खाद्य पदार्थ – खाद्य या पेय पदार्थ की प्रयोगशाला में जांच के बाद अमानक पाए जाने पर उम्रकैद जेल के साथ ही जुर्माना भी देना होगा। अवधि समाप्ति पर – खाद्य पदार्थ की अवधि समाप्ति के बाद बेचे जाने पर पांच साल की जेल व एक लाख रुपए तक जुर्माना या दोनों हो सकता है। *इसे ऐसे समझा जा सकता है* बनाए गए नये कानूनी जनकारो का कहना है कि नये कानून के तहत मिलावटखोरों की शिकायत मिलने पर पुलिस, खाद्य औषधि विभाग, खाद्य आपूर्ति विभाग व चिकित्सा विभाग के अधिकारी पहुंचकर नये कानून के तहत व्यवसायी के विरुद्ध आईपीसी की धारा -272 व 273 और नकली दवा में आईपीसी की धारा 274, 275 और 276 के तहत प्रकरण दर्ज किया जाएगा। मिलावटखोरों को गैर जमानती धाराओं में तत्काल गिरफ्तार किया जा सकेगा।